इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। इस्लामपुर प्रखंड के कोचरा कुशवाहा भवन में आयोजित विधिक जागरूकता शिविर में बिहार पीड़ित प्रतिकर योजना 2014 और इसके अद्यतन संशोधनों पर विस्तृत चर्चा की गई। इस शिविर का उद्देश्य अपराध पीड़ितों को वित्तीय और मानसिक सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया से आमजन को अवगत कराना था। शिविर में पैनल अधिवक्ता विजय कुमार और पीएलवी आलोक कुमार ने योजना के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
पीएलवी आलोक कुमार ने परिचय सत्र में बताया कि बिहार पीड़ित प्रतिकर योजना का मुख्य उद्देश्य अपराध पीड़ितों और उनके आश्रितों को वित्तीय सहायता और पुनर्वास में मदद करना है। यह योजना अपराध के कारण होने वाली चोट, नुकसान या मानसिक आघात से प्रभावित लोगों को मुआवजा प्रदान करती है। सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के तहत, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357ए के अनुसार यह योजना राज्यों द्वारा लागू की गई है।
पैनल अधिवक्ता विजय कुमार ने बताया कि इस योजना को राज्य सरकार द्वारा बजटीय आवंटन, न्यायालयों द्वारा लगाए गए जुर्माने, अपराधियों से प्राप्त मुआवजा, केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष से अनुदान जैसे स्रोतों से वित्तपोषित किया जाता है।
मुआवजे की राशि निर्धारित करने में अपराध की गंभीरता, चोटों की प्रकृति, उपचार पर किया गया व्यय, शैक्षिक या रोजगार के अवसरों की हानि जैसे कारकों पर विचार किया जाता है।
इसके अतिरिक्त एसिड अटैक, सामूहिक बलत्कार, मानव तस्करी और सीमा पार गोलीबारी जैसे गंभीर अपराधों के पीड़ितों को विशेष मुआवजा प्रदान किया जाता है। प्रत्येक जिले में एक कोष स्थापित किया गया है। जिसमें न्यायालयों द्वारा लगाए गए जुर्माने जमा किए जाते हैं और पीड़ितों को तत्काल प्राथमिक उपचार या चिकित्सा सुविधा निःशुल्क प्रदान की जाती है।
बता दें कि बिहार पीड़ित प्रतिकर संशोधन स्कीम 2018 के संशोधन में केंद्रीय पीड़ित प्रतिकर दिशा-निर्देश 2016 के अनुरूप बदलाव किए गए। इसके तहत बलात्कार और एसिड अटैक पीड़ितों के लिए मुआवजा राशि 3 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये की गई। यदि पीड़ित की आयु 14 वर्ष से कम है तो मुआवजा राशि में 50% की वृद्धि की जा सकती है। एसिड अटैक पीड़ितों को, जिनकी दृष्टि या चेहरा 80% या उससे अधिक क्षतिग्रस्त हुआ हो, 10,000 रुपये मासिक सहायता जीवनभर या उपयुक्त अवधि के लिए प्रदान की जाती है।
वहीं बिहार पीड़ित प्रतिकर संशोधन स्कीम 2019 के संशोधन में यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों की महिला पीड़ितों के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए। मुआवजा राशि अपराध की गंभीरता और पीड़ित की आयु के आधार पर निर्धारित की जाती है। एसिड अटैक के मामलों में चेहरे की पूर्ण विरूपता पर 7-8 लाख रुपये, 50% से अधिक चोट पर 3-5 लाख रुपये, 20% से कम चोट पर 3-4 लाख रुपये जैसे कारकों पर विचार किया जाता है।
पीड़ित या उनके आश्रितों को मुआवजा प्राप्त करने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डीएलएसए) या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) में आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन जमा करना होता है। डीएलएसए-एसएलएसए आवेदन की समीक्षा करता है और स्वीकृत मुआवजा राशि पीड़ित के बैंक खाते में स्थानांतरित की जाती है। प्राधिकरण किसी भी स्तर पर तत्काल प्राथमिक चिकित्सा या चिकित्सा लाभ प्रदान करने का आदेश दे सकता है। ट्रायल कोर्ट भी मुआवजे की सिफारिश कर सकता है, जिसका सत्यापन डीएलएसए द्वारा किया जाता है।
इस शिविर में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही। कुमारी गीता सिन्हा, रीना देवी, दौलती देवी, पुनम कुमारी, नीतू देवी, गिरानी देवी, सोनी कुमारी, इंदू देवी, रानी देवी, नूतन देवी, शांति देवी, रूबी वर्मा, माधुरी देवी, खुशबू देवी सहित कई अन्य महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
