यूं बर्बादी का मंजर छोड़ गया लोकायन, संवेदनहीन बना प्रशासन

हिलसा (नालंदा दर्पण)। हिलसा और करायपरसुराय प्रखंड क्षेत्र में लोकायन नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि ने तबाही मचा दी है। नदी के पश्चिमी तटबंध में कटाव के कारण दर्जनों गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसने इलाके को जलमग्न कर दिया। कई घरों में पानी घुस गया, जबकि सैकड़ों एकड़ खेतों में लगी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं। प्रभावित फसलों में गरमा धान, मूंग, मक्का, मूंगफली, सब्जियां और धान की नर्सरी शामिल हैं, जो किसानों की मेहनत और आजीविका का आधार थीं।
लोकायन नदी के तटबंध में हुए कटाव ने मकरौता एवं चिकसौरा पंचायत के निचले इलाकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। सोमवार तक करीब दो फीट पानी निकल चुका था, लेकिन नीची जमीनों और खेतों में पानी अब भी जमा है।
खेतों में पानी फैलने से धान और मक्का की फसलें, जो तैयार होने की कगार पर थीं, पूरी तरह बर्बाद हो गईं। मक्का के दाने भी नहीं बन पाए और फसल सड़ गई। किसान अब केवल धान के बचे हुए बालों को काटकर निकालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन धान की नर्सरी भी इस आपदा की भेंट चढ़ गई।
स्थानीय किसानों और ग्रामीणों ने प्रखंड प्रशासन को तटबंध कटाव और बाढ़ की स्थिति की सूचना तुरंत दी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रशासन की इस संवेदनहीनता ने प्रभावित लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। किसानों का कहना है कि समय पर तटबंध की मरम्मत और जल निकासी की व्यवस्था हो जाती तो इतना बड़ा नुकसान टाला जा सकता था।
बहरहाल इस बाढ़ ने किसानों की कमर तोड़ दी है। एक किसान रामप्रीत यादव ने बताया कि हमने कर्ज लेकर खेती की थी, अब सब कुछ डूब गया। न फसल बची, न नर्सरी। अब परिवार का पेट कैसे पाले?”
अन्य कई किसानों ने बताया कि मक्का और धान की फसलें उनकी सालभर की मेहनत का नतीजा थीं, लेकिन अब उनके हाथ कुछ नहीं बचा। खेतों में जमा पानी निकालने की कोई व्यवस्था नहीं होने से उनकी उम्मीदें और टूट रही हैं।
लोकायन नदी की इस बाढ़ ने हिलसा और करायपरसुराय के ग्रामीण इलाकों में भारी तबाही मचाई है। किसानों की बर्बादी और प्रशासन की निष्क्रियता ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। अगर समय पर कार्रवाई नहीं की गई तो प्रभावित परिवारों के सामने आजीविका का संकट और गहरा सकता है।










