राजगीर सीट पर NDA का ड्रामा: JDU ने LJP कोटा को दिखाया ठेंगा, कौशल किशोर को थमाया टिकट

नालंदा दर्पण न्यूज़ डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियों के बीच नालंदा जिले की राजगीर (SC) विधानसभा सीट पर सियासी घमासान ने नया मोड़ ले लिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीट बंटवारे के दौरान लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानि LJP(R) को यह सीट आवंटित करने का फैसला हो चुका था, लेकिन अंतिम समय पर जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने निवर्तमान विधायक कौशल किशोर को पार्टी का आधिकारिक सिंबल थमा दिया है।
यह कदम न केवल LJP के चिराग पासवान को झटका देगा, बल्कि पूरे गठबंधन की एकजुटता पर सवाल भी खड़े कर रहा है। क्या यह नीतीश कुमार की ‘बड़े भाई’ वाली रणनीति का नमूना है, या फिर राजगीर जैसे महत्वपूर्ण SC आरक्षित क्षेत्र को JDU के कब्जे में रखने की मजबूरी? आइए, इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों के लिए NDA ने हाल ही में सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर मुहर लगाई। इसके तहत BJP और JDU को 101-101 सीटें मिलीं, जबकि LJP(R) को 29, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) को 6 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को 6 सीटें आवंटित की गईं। लेकिन यह फॉर्मूला कागजों पर तो सरल लगता है, हकीकत में यह कई सीटों पर पेच फंसाने वाला साबित हो रहा है। राजगीर इन्हीं विवादित सीटों में शुमार है।
सूत्रों के मुताबिक NDA की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में LJP(R) ने राजगीर सहित कई सिटिंग JDU सीटों पर दावा ठोका था। चिराग पासवान की पार्टी का तर्क था कि यह SC आरक्षित सीट दलित वोट बैंक के लिए उनके लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
लेकिन JDU ने साफ लहजा अपनाते हुए कहा कि यह उनकी सिटिंग सीट है और 2020 में कौशल किशोर ने यहां शानदार जीत हासिल की थी। नतीजा? अंतिम सूची में राजगीर JDU के खाते में ही रह गई। NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, JDU ने कुल 30 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर दिए, जिसमें राजगीर से कौशल किशोर का नाम प्रमुखता से शामिल है।
आजतक की एक रिपोर्ट में इस विवाद को और स्पष्ट किया गया है कि राजगीर JDU की यह सिटिंग सीट है, लेकिन LJP(R) इसे अपने खाते में शामिल करने पर अड़ी हुई है, जिससे बात अटक गई है।
LJP के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हमने 40 सीटों की मांग की थी, 29 मिलीं, लेकिन राजगीर जैसी प्रमुख सीटें हमें न मिलें तो चुनावी रणनीति कैसे बनेगी? हालांकि चिराग पासवान ने सोशल मीडिया पर गठबंधन की एकता का दावा किया है, लेकिन अंदरखाने में नाराजगी साफ झलक रही है।
कौशल किशोर राजगीर के लिए JDU के चेहरा हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के रवि ज्योति कुमार को 16,048 वोटों के भारी अंतर से हराकर सीट पर कब्जा जमाया था। वोट प्रतिशत के लिहाज से JDU को 53.66% मत मिले थे, जो उनकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है। लाइव हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार 2020 के चुनाव में राजगीर (SC) सीट से JDU के कौशल किशोर ने जीत दर्ज की थी।
कौशल किशोर न केवल स्थानीय मुद्दों जैसे पर्यटन विकास, ब्रह्मकुंड और गर्म कुंडों के संरक्षण पर सक्रिय रहे हैं, बल्कि SC समुदाय के बीच भी लोकप्रिय हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट भी यही पुष्टि करती है कि कौशल किशोर 2020 में विजयी उम्मीदवार थे और अब दोबारा मैदान में उतर रहे हैं।
यह घटनाक्रम NDA के लिए एक बड़ा सबक है। बिहार चुनाव 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होंगे और 14 नवंबर को नतीजे आएंगे। विकिपीडिया के अनुसार NDA विकास और कल्याण योजनाओं पर जोर दे रहा है, लेकिन आंतरिक कलह विपक्ष को फायदा पहुंचा सकती है। वहीं महागठबंधन (RJD, कांग्रेस आदि) अभी सीट बंटवारे पर अटका है, लेकिन LJP-JDU विवाद से वे फायदा उठा सकते हैं। जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर ने भी 116 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, जो त्रिकोणीय मुकाबले को और रोचक बना देंगे।
नालंदा जिले में राजगीर की महत्वपूर्णता किसी से छिपी नहीं है। यह बौद्ध और जैन तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है और यहां SC वोटरों की बड़ी संख्या है। यदि LJP नाराज होकर गठबंधन से नाता तोड़ ले तो NDA की सरकार बचाने की राह मुश्किल हो सकती है। कुल मिलाकर राजगीर का यह ड्रामा बिहार की सियासत को और गर्म कर रहा है। क्या LJP चुप्पी साध लेगी या कोई नया ट्विस्ट आएगा?









