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NEET paper leak case: पहले गुरु रंजीत डॉन और अब चेला संजीव मुखिया, नालंदा का नाम डूबोया

नीट समेत विभिन्न परीक्षाओं एवं सरकारी नौकरियों की सेटिंग मामले में नालंदा का पुराना नाता है। करीब दो दशकों से नालंदा किसी भी एग्जाम के कोश्चन पेपर लीक केन्द्र रहा है। पहले गुरु रंजीत डॉन और अब चेला संजीव मुखिया...

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NEET paper leak case First Guru Ranjit Don and now disciple Sanjeev Mukhiya, brought disrepute to Nalanda

हिलसा (नालंदा दर्पण)। NEET paper leak case: नीट समेत विभिन्न परीक्षाओं एवं नियुक्तियों की सेंटिंग के यहां दो मास्टरमाइंड हुए हैं। जिसमें दो दशक पहले रंजीत डॉन का नाम देश भर में चर्चित रहा है। अब नालंदा के संजीव मुखिया एक नये मास्टरमाइंड का उदय हुआ है। संजीब मुखिया पहले रंजीत डॉन का ही ‘एजेंटी’ करता था। सारे पैतरे उसी से सीखे हैं।

आज भी रंजीत डॉन के असल रेफरी होने की चर्चाः कहा तो यहां तक जाता है कि संजीव मुखिया जैसे खिलाड़ी के पीछे असल रेफरी आज भी रंजीत डॉन ही है। असल खेल वही खेल रहा है। उसी के धागे से संजीव मुखिया सरीखे देश के कई संजीव मुखिया वर्षों से परीक्षा व्यवस्था की छाती पर नंगा नाच कर रहे हैं। कई बार पकड़े जाने के बाबजूद जिनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई और फोड़ा-फुन्सी नासूर बन गए हैं।

बहरहाल, साधारण सा दिखने वाला बी-टेक डिग्रीधारी (रंजीत डॉन की कृपा से हासिल डिग्री) संजीव मुखिया उर्फ लूटना पिछले दो माह के अंदर तीन मुख्य परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक के मुख्य सूत्रधार के रूप में चर्चित हुआ है। बिहार आर्थिक अपराध शाखा (इओयू) की टीम नीट से लेकर बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएसी) की परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक के मामले में दिन-रात इसकी तलाश कर रही है।

ईओयू की छापामारी के बाद सहमा गांवः तीन दिन पूर्व इओयू की टीम संजीव मुखिया के पैतृक घर नगरनौसा के शाहपुर बलवापर में छापेमारी कर चुकी है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली। हालांकि, संजीव मुखिया के बेटे शिवकुमार उर्फ बिट्टू को इओयू की टीम मध्य प्रदेश के उज्जैन से पहले ही दबोच चुकी है और वह फिलहाल बेऊर जेल की सलाखें गिन रहा है।

वहीं, झारखंड के देवघर से दो दिन पूर्व गिरफ्तार छह में से पांच युवक नालंदा के रहनेवाले हैं। इन पांचों युवकों ने भी संजीव मुखिया को ही नीट परीक्षा प्रश्न पत्र लीक का मुख्य सूत्रधार बताया है।

पहले पत्नी को बनाया मुखिया, फिर बनवाया जदयू नेत्री और फिर लोजपा से लड़वाया हरनौत विधान सभा चुनावः कहते हैं कि वर्ष 2005 से माता-पिता के कारण संजीव मुखिया का अपने छोटे भाई के घर में आना-जाना शुरू हुआ। उसके पास अवैध कमाई के खूब पैसे थे। दोनों पति-पत्नी गांव-जेवार के धार्मिक-सास्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेने लगे। वे प्रायः आयोजन के हर खर्च उठाते थे। मीडिया में भी पैसे खर्च कर खूब प्रचार-प्रसार करवाते थे।

वर्ष 2015 में संजीव मुखिया ने भूतहाखार पंचायत से अपनी पत्नी ममता देवी को मुखिया का चुनाव लड़ाया और पैसे झोंककर जीत हासिल कर ली की। पत्नी के मुखिया बनने के बाद संजीव मुखिया ने उसे स्थानीय विधायक हरिणारायण सिंह के सहारे सत्तारुढ़ जदयू पार्टी ज्वाइन करवा दिया। जदयू ज्वाइन करवाने के बाद उसकी पत्नी पार्टी के हर कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगी। वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक के कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने के लिए खूब राशि खर्च करती रही। मीडिया की सुर्खियां पाने में में भी खूब उड़ाए।

पत्नी को विधायक बनाने का छाया जुनूनः पैसे के बल भीड़ जुटाने की कला के बल संजीव मुखिया को अबतक यह गुमान हो गया था कि वह अपनी पत्नी को विधायक बनवा सकता है। नतजतन उसने जदयू के सामने हरनौत विधानसभा क्षेत्र से टिकट की मांग की। लेकिन पार्टी ने अपने वरिषठ विधायक का टिकट काटकर ममता देवी को मौका देना मुनासिब नहीं समझा।

फिर क्या था। ममता देवी ने हरनौत विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए रातोरात श्री चिराग पासवान की पार्टी लोजपा में शामिल हो गई और एक बड़ी राशि से लोजपा के टिकट पर जदयू प्रत्याशी के खिलाफ चुनावी जंग में उतर गई। लेकिन परिणाम वहीं आया, जैसा कि होना था। पैसे के बल पत्नी को विधायक बनाने का सपना संजीव मुखिया का सपना ही रह गया।

फिलहाल नगरनौसा प्रखंड के गांव बलवापर, जहां संजीव मुखिया का पैत्रिक घर है। नीट पेपर लीक से चर्चा में आने के बाद आधे गांव के कई लोग डरे-सहमे हैं तो कई लोग खुश भी है। डरे सहमे इसलिए कि उनसे भी पूछताछ हो सकती है और खुश इसलिए कि पैसे के लोगों के नाक में दम कर रखा है।

कागजी तौर पर संजीव मुखिया का गांव में कोई घर नहींः आश्चर्य की बात है कि बतौर कागजी संजीव मुखिया का गांव में कोई घर नहीं है। इओयू की टीम ने कुछ दिन पूर्व इसी गांव के धर्मवीर कुमार को पटना ले जाकर पूछताछ की थी। बाद में उसे छोड़ दिया था। तब से ग्रामीण इस पर चर्चा करने से बच रहे हैं।

संजीव मुखिया दो भाई और दो बहन है। संजीव बड़ा है और राजीव कुमार छोटे हैं। दोनों बहनों की शादी वर्षों पहले हो गयी है। वर्षों पहले उसके पिता जेके (जनक किशोर) प्रसाद ने पंनचनामा से बंटवारा कर दिया था, जिसमें छोटे भाई राजीव कुमार को पैतृक मकान मिला है। वहीं, संजीव मुखिया को ढाई बीघा खेत और दो कट्टा घर की जमीन मिली है। हालांकि यह सब के पीछे कानूनी कार्रवाई से बचने की मात्र जुगत बताई जाती है।

कहते हैं कि तब से संजीव मुखिया पटना में किराये के मकान में पूरे परिवार के साथ रहता हैं। हिलसा के रंजीत डॉन की कृपा से बी-टेक की पढ़ाई कर संजीव मुखिया ने सेटिंग कर नूरसराय उद्यान कॉलेज में नौकरी कर ली और पटना से आना-जाना करने लगा। लेकिन वह आता-जाता क्या, फांकाकसी कर सिर्फ वेतन ही उठाता रहा है।

पहले भी जेल जा चुका है संजीव मुखियाः बता दें कि संजीव मुखिया वर्ष 2012 और वर्ष 2013 में भी अलग-अलग सरकारी नौकरी की परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक करने के मामले में जेल जा चुका है। उसका बेटा शिवकुमार उर्फ बिट्टू सेटिंग के जरिए ही डॉक्टर की डिग्री लिये हुए हैं। दोनों बाप-बेटे ने पूरे देश भर में प्रश्न पत्र लीक करने का जाल फैला रखा है।

हाल ही में पहला खुलासा बीपीएससी सिपाही भर्ती परीक्षा प्रश्न पत्र लीक से हुआ। इसमें संजीव मुखिया और उसके बेटे ने प्रश्न पत्र ले जाने वाले वाहन चालक को मिलाकर रामघाट के पास एक होटल में प्रश्न पत्र स्कैन कर लिया था। इसके बाद बीपीएससी शिक्षक भर्ती में भी यहीं तरीका अपनाया था।

वहीं अब नीट परीक्षा प्रश्न पत्र लीक करने में हजारीबाग के एक शिक्षण संस्थान के एक शिक्षाकर्मी की मदद ली। जिसे लेकर बिहार अपराध ईकाई के साथ केन्द्रीय जांच ब्यूरो की स्पेशल टीम पड़ताल कर रही है।

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