Home भ्रष्टाचार शिक्षा विभाग की लापरवाहीः फर्जीवाड़ा का सीबीआई आरोपी एचम 7 साल बाद...

शिक्षा विभाग की लापरवाहीः फर्जीवाड़ा का सीबीआई आरोपी एचम 7 साल बाद हुआ सस्पेंड !

Negligence of Education Department CBI accused of fraud, HCM suspended after 7 years!
Negligence of Education Department CBI accused of fraud, HCM suspended after 7 years!

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिसने बिहार शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हिलसा प्रखंड अवस्थित श्रीमती मुनक्का देवी संस्कृत उच्च विद्यालय कामता के हेडमास्टर (प्रधानाध्यापक) रविशंकर प्रियदर्शी के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी और वह फर्जी सर्टिफिकेट घोटाले में तीन महीने जेल भी काट चुका है। फिर भी वह पिछले सात वर्षों से अपने पद पर बना हुआ था। इतना ही नहीं उसे वेतन का भी नियमित भुगतान किया जा रहा था। अब इस पूरे मामले में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश पर जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) ने उन्हें निलंबित (सस्पेंड) कर विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की है।

रविशंकर प्रियदर्शी पर आरोप है कि उसने न केवल फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपनी बहाली करवाई, बल्कि उन्होंने अपने भाई और भाभी को भी अवैध रूप से शिक्षक पद पर नियुक्त कर दिया। हालांकि विद्यालय के तत्कालीन सचिव ने विभाग को लिखित रूप से सूचित किया था कि वर्ष 2014 के दौरान उनके कार्यकाल में किसी भी शिक्षक की बहाली नहीं हुई थी।

बता दें कि यह मामला वर्श 2015 में तब प्रकाश में आया था। जब झारखंड के पोस्टल डिपार्टमेंट में कार्यरत देवघर जिले के रमेश कुमार दास, जामताड़ा के विधानचंद मंडल और रमेश चौधरी को सीबीआई ने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया। जांच के दौरान सामने आया कि इस फर्जीवाड़े में हेडमास्टर रविशंकर प्रियदर्शी की भी संलिप्तता थी। जिसके चलते उन्हें जेल भेज दिया गया।

इस पर राज्य सूचना आयोग द्वारा इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए विद्यालय प्रबंध समिति को आदेश दिया गया कि प्रधानाध्यापक रविशंकर प्रियदर्शी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। उसी आदेश का पालन करते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) ने विद्यालय के सचिव को पत्र जारी कर निलंबन की कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा।

इस प्रक्ररण ने एक बार फिर शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही को उजागर कर दिया है। सवाल उठता है कि अगर सीबीआई ने आरोपी हेडमास्टर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी और वे जेल भी जा चुके थे तो फिर पिछले सात वर्षों तक उन्हें वेतन भुगतान कैसे किया जाता रहा? शिक्षा विभाग की इस घोर लापरवाही ने सरकारी सिस्टम की खामियों को उजागर कर दिया है।

अब राज्य सूचना आयोग के हस्तक्षेप के बाद यह मामला फिर से चर्चा में आ गया है। उम्मीद की जा रही है कि अब दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और शिक्षा विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ऐसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत है। ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताएं न हो सकें।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!
Exit mobile version