अब एक अगस्त से सभी सरकारी स्कूलों में नई योजना लागू

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की उपस्थिति पर कड़ी नजर रखने के लिए शिक्षा विभाग ने एक नई और महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इस योजना के तहत नालंदा जिले के सभी सरकारी स्कूलों को तीन-तीन टेबलेट प्रदान किए जाएंगे, जिनके माध्यम से उपस्थिति और शैक्षिक गतिविधियों की रीयल-टाइम निगरानी की जाएगी। जिले में लगभग 2450 सरकारी विद्यालय हैं और इनके लिए करीब सात हजा़र टेबलेट उपलब्ध कराए जाने की उम्मीद है। यह व्यवस्था 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होगी।
शिक्षा विभाग की इस पहल का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है। प्रत्येक स्कूल में प्रदान किए गए तीन टेबलेट का उपयोग इस प्रकार होगा। पहला टेबलेट प्रधानाध्यापक द्वारा उपयोग किया जाएगा। दूसरा टेबलेट वरीय शिक्षक के पास रहेगा। तीसरा टेबलेट किसी अन्य शिक्षक को सौंपा जाएगा।
इन टेबलटों के जरिए शिक्षक और छात्र-छात्राओं की दैनिक उपस्थिति टेबलेट के माध्यम से ई-शिक्षा पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। वर्ग शिक्षक प्रतिदिन बच्चों की तस्वीरें पोर्टल पर अपलोड करेंगे।
वहीं कक्षा में चल रहे शिक्षण कार्य की तस्वीरें और वीडियो भी पोर्टल पर अपलोड होंगे। मध्याह्न भोजन, विद्यालय परिसर की साफ-सफाई और पढ़ाई के दौरान बच्चों की गतिविधियों की फोटो और वीडियो भी दर्ज किए जाएंगे।
इस नई व्यवस्था से न केवल स्कूलों में नियमितता बढ़ेगी, बल्कि यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी उपस्थिति से संबंधित जानकारी छिपाई न जा सके। जिला शिक्षा पदाधिकारी के अनुसार टेबलेट उपलब्ध होते ही सभी स्कूलों में तुरंत वितरण कर दिया जाएगा। यह योजना शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरकार की कई लाभकारी योजनाओं जैसे छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाओं के लिए स्कूली बच्चों की 75% उपस्थिति अनिवार्य है। अब टेबलेट के माध्यम से दर्ज होने वाली वास्तविक उपस्थिति के आधार पर उन बच्चों को चिह्नित किया जाएगा, जिनकी उपस्थिति इस मानक से कम होगी। ऐसे छात्रों को योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा सकता है, जिससे अभिभावकों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी।
शिक्षकों के लिए भी यह योजना चुनौतीपूर्ण हो सकती है। अब उनकी उपस्थिति और कक्षा में शिक्षण कार्य की गुणवत्ता को नियमित रूप से जांचा जाएगा। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करेगी कि शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी निष्ठा से करें।
हालांकि यह योजना अत्यंत उपयोगी प्रतीत होती है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी प्रशिक्षण की कमी इसकी राह में बाधा बन सकती है। फिर भी यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया तो यह नालंदा जिले के शिक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।









