Home नालंदा अब DPO करेंगे छात्रों-शिक्षकों की उपस्थिति का यूं डिजिटल सत्यापन

अब DPO करेंगे छात्रों-शिक्षकों की उपस्थिति का यूं डिजिटल सत्यापन

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Now DPO will do digital verification of students and teachers' attendance
Now DPO will do digital verification of students and teachers' attendance

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के सरकारी स्कूलों में अब छात्रों और शिक्षकों की अनुपस्थिति को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। शिक्षा विभाग द्वारा नए निर्देशों के तहत जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) अब डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से उपस्थिति की सूची को सत्यापित करेंगे। इससे स्कूलों की मॉनिटरिंग अधिक सख्त और पारदर्शी हो जाएगी, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता और अनुशासन में सुधार की उम्मीद है।

जानें कैसे काम करेगा नया डिजिटल सत्यापन तंत्र? नई व्यवस्था के अनुसार, स्कूलों के हेडमास्टर अब अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओं की उपस्थिति की सूची प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) के पास जमा करेंगे। बीईओ स्कूलों में नामांकित छात्रों की 75 फीसदी उपस्थिति वाली सूची को ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करेंगे। इसके बाद यह सूची जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (योजना एवं लेखा) के पास सत्यापन के लिए भेजी जाएगी। डीपीओ इस सूची को डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से प्रमाणित करेंगे और इसे ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे।

पहले की व्यवस्था में क्या थीं समस्याएं? इससे पहले सरकारी स्कूलों की मॉनिटरिंग के लिए कोई केंद्रीयकृत या डिजिटल व्यवस्था नहीं थी। जिससे हाजिरी को लेकर ढील बरती जाती थी। स्कूलों के हेडमास्टर पर ही शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होती थी। लेकिन इस प्रणाली में पारदर्शिता की कमी थी। नतीजतन कई बार शिक्षक और छात्र स्कूल में अपनी हाजिरी दर्ज करवाने के बावजूद गायब हो जाते थे। इसका न तो सही रिकॉर्ड होता था और न ही कोई सख्त कार्रवाई होती थी।

अब कैसा आएगा बदलाव? नई प्रणाली के तहत अब कोई भी छात्र या शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर विद्यालय से गायब नहीं हो सकेगा। डिजिटल हस्ताक्षर और ऑनलाइन प्रणाली से उपस्थिति की जांच और सत्यापन तुरंत किया जा सकेगा। जिससे अगर कोई छात्र या शिक्षक अनुपस्थित होगा तो वह तुरंत नजर में आ जाएगा। इससे पहले हाजिरी की प्रक्रिया में अनियमितता की गुंजाइश थी। लेकिन अब यह प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी और सख्त होगी।

शिक्षा विभाग का उद्देश्य और लाभः शिक्षा विभाग का यह कदम न केवल अनुशासन बनाए रखने के लिए है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों की उपस्थिति को बढ़ावा देना और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ सही तरीके से दिलाना है। अब जिन छात्रों की उपस्थिति 75 फीसदी से कम होगी। उन्हें सरकारी योजनाओं जैसे छात्रवृत्ति, मध्याह्न भोजन आदि का लाभ नहीं मिलेगा। यह नियम न केवल छात्रों को नियमित स्कूल जाने के लिए प्रेरित करेगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार करेगा।

सरकारी स्कूलों की मॉनिटरिंग में पारदर्शिताः इस नई डिजिटल प्रणाली से सरकारी स्कूलों की मॉनिटरिंग में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। अब हेडमास्टर, बीईओ और डीपीओ के बीच समन्वय से उपस्थिति की जानकारी को तुरंत अपडेट किया जा सकेगा। जिससे छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी।

यह कदम बिहार के शिक्षा तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह न केवल स्कूलों में अनुशासन लाएगा, बल्कि छात्रों की शिक्षा के प्रति समर्पण को भी बढ़ाएगा।

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