अब लेमन ग्रास की खेती नालंदा में बदलेगी किसानों की किस्मत

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। अब नालंदा जिले में किसानों की आय बढ़ाने के लिए औषधीय एवं सुगंधित लेमन ग्रास की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। इसी क्रम में इस वर्ष जिले में लेमन ग्रास की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए उद्यान विभाग को 10 हेक्टेयर का लक्ष्य प्रदान किया गया है। विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने के साथ-साथ अनुदान, तकनीकी सहयोग और प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
इस योजना के तहत लेमन ग्रास की खेती करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान का लाभ मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि लेमन ग्रास कम लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल है और नालंदा की मिट्टी एवं जलवायु इसके लिए पूरी तरह अनुकूल है। गर्म और आर्द्र मौसम में इसकी पैदावार बेहतर होती है। खास बात यह है कि एक बार लेमन ग्रास लगाने के बाद हर 3-4 महीनों में इसकी कटाई संभव है, जिससे किसान वर्ष में कई बार आय प्राप्त कर सकते हैं।
जिले में लेमन ग्रास की खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ बाजार उपलब्धता को लेकर भी तैयारी शुरू हो गई है। किसानों को उनके उत्पादन का सही मूल्य मिल सके, इसके लिए उद्यान विभाग ने आश्वन (डिस्टिलेशन) प्लांट स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव स्वीकृत होने पर जिस प्रखंड में किसानों द्वारा लेमन ग्रास की खेती अधिक क्षेत्र में की जाएगी, वहीं प्लांट स्थापित किया जाएगा। इससे उत्पादन की प्रोसेसिंग जिले में ही हो सकेगी और किसानों को बाहर बाजार पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
गौरतलब है कि लेमन ग्रास से मुख्य रूप से तेल निकाला जाता है जिसकी मांग देश के बड़े शहरों से लेकर औषधीय एवं कॉस्मेटिक उद्योगों में लगातार बढ़ रही है। विभाग के अनुसार एक हेक्टेयर क्षेत्र से प्रति वर्ष करीब 100 से 120 किलो लेमन ग्रास तेल प्राप्त किया जा सकता है। इसका उपयोग एरोमाथेरेपी, दवाइयों, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और हर्बल उत्पादों में बड़े पैमाने पर होता है।
लेमन ग्रास के पौधे एक बार लगाने पर 5 से 7 वर्षों तक उत्पादन देते हैं, जिससे किसानों को लंबी अवधि तक लगातार आय मिलती रहती है। विभाग ने बताया कि योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं। प्रति हेक्टेयर लागत इकाई 1.50 लाख रुपये निर्धारित की गई है, जिस पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।
लेमन ग्रास की बढ़ती मांग और बेहतर आय की संभावना को देखते हुए नालंदा के किसान भी इसे नए अवसर के रूप में देख रहे हैं। जिले के ग्रामीण इलाकों में यह पहल कृषि क्षेत्र में बदलाव की नई दिशा साबित हो सकती है।









