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पावापुरी में 11 लाख की बोली लगाकर NRI ने चढ़ाया महावीर निर्वाण लाडू

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NRI offered Mahavir Nirvana Laddu by bidding 11 lakh in Pavapuri
NRI offered Mahavir Nirvana Laddu by bidding 11 lakh in Pavapuri

पावापुरी (नालंदा दर्पण)। जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पावापुरी का तीर्थस्थल अत्यंत पवित्र माना जाता है, और इस वर्ष भगवान महावीर का 2550वां निर्वाणोत्सव अत्यधिक श्रद्धा और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान भगवान महावीर के महापरिनिर्वाण लाडू चढ़ाने की परंपरा को निभाते हुए अमेरिका के भारतीय प्रवासी (एनआरआई) सुरेंद्र लाल पारसन ने 11 लाख रुपये की सर्वाधिक ऊंची बोली लगाकर इस विशेष सौभाग्य को प्राप्त किया।

यह बोली जैन श्वेतांबर भंडार तीर्थ पावापुरी ट्रस्ट द्वारा आयोजित की गई। जो हर साल भगवान महावीर के चरणों में ‘निर्वाण लाडू’ चढ़ाने के लिए बोली लगवाने की परंपरा को निभाता आ रहा है। इस खास अवसर पर श्रद्धालु देश-विदेश से पावापुरी पहुंचे थे। जिनमें एनआरआई सुरेंद्र लाल पारसन ने बोली में सबसे ऊंची राशि अर्पित की। अहले सुबह 4 बजे से जलमंदिर में लाडू की बोली शुरू हुई और श्रद्धालुओं ने पूरे भक्तिभाव के साथ इस पावन अवसर का हिस्सा बनने का प्रयास किया।

निर्वाण जाप और भव्य शोभायात्रा की अद्वितीय रौनकः इससे पहले श्रद्धालुओं ने भगवान महावीर के निर्वाण जाप में पूरी रात भाग लिया। जाप के बाद अहले सुबह श्रद्धालुओं ने महापरिनिर्वाण लाडू चढ़ाने के लिए बोली में भाग लिया। इस लाडू को भगवान महावीर के चरणों में चढ़ाने का अवसर पाने के लिए हर श्रद्धालु उत्सुक था और सभी अपनी बारी का इंतजार कतारों में खड़े होकर कर रहे थे।

जैसे ही शोभायात्रा जलमंदिर पहुंची। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भगवान महावीर के दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। शोभायात्रा में गाजे-बाजे, ध्वज-पताकाएं और रथ पर सवार भगवान महावीर की मूर्ति को लेकर जैन श्रद्धालु अत्यधिक हर्ष और भक्ति के साथ नाचते-गाते चल रहे थे। शोभायात्रा में ‘सत्य-अहिंसा’, ‘जियो और जीने दो’ जैसे भगवान महावीर के दिव्य संदेशों का जयघोष किया जा रहा था।

श्रद्धा का अनोखा नजाराः पूरे पावापुरी तीर्थस्थल पर आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का एक अनोखा नजारा देखने को मिला। जलमंदिर में लाडू चढ़ाने की होड़ में श्रद्धालुओं की भीड़ रात से ही जुटने लगी थी। हर कोई यह मानता है कि इस लाडू को भगवान के चरणों में अर्पित करना उनके जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है।

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