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SDM ने उपरी आदेश पर PK को CM का गांव जाने से रोका, गरमाई सियासत

यह घटना न केवल नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र में सुशासन की स्थिति पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बिहार में राजनीतिक गतिविधियों को लेकर प्रशासन कितना संवेदनशील है। जन सुराज पार्टी का यह अभियान भविष्य में और कितना रंग लाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा...

हरनौत (नालंदा दर्पण)। आज 18 मई  2025 को बिहार के मुख्यमंत्री (CM) नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा में जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर (PK) को जिला प्रशासन ने प्रवेश करने से रोक दिया। पीके अपने ‘बिहार बदलाव हस्ताक्षर अभियान’ की शुरुआत के लिए कल्याण बिगहा पहुंचे थे, लेकिन भारी पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की तैनाती के कारण उन्हें गांव की सीमा पर ही रोक दिया गया। इस घटना ने बिहार की सियासत में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

On orders from above, SDM stopped PK from going to CM's village, politics heats up
On orders from above, SDM stopped PK from going to CM’s village, politics heats up

प्रशांत किशोर ने घोषणा की थी कि वे नीतीश कुमार के गांव से तीन प्रमुख मुद्दों पर रियलिटी चेक शुरू करेंगे। ये मुद्दे हैं- जमीन सर्वे में घूसखोरी: क्या बिहार में चल रहे जमीन सर्वे के दौरान लोगों से रिश्वत ली जा रही है? गरीब दलित परिवारों को आवास के लिए जमीन: क्या दलित और गरीब परिवारों को आवास के लिए तीन डिसमिल जमीन आवंटित की गई है, जैसा कि सरकार का दावा है? जातीय सर्वे के आधार पर वित्तीय सहायता: क्या जातीय सर्वे के आधार पर चिन्हित गरीब परिवारों को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है?

पीके का कहना था कि वे इन सवालों के जवाब कल्याण बिगहा के लोगों से सीधे संवाद कर प्राप्त करना चाहते थे। हालांकि प्रशासन ने उन्हें गांव में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार सुबह से ही जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ता और नेता नालंदा पहुंच गए थे। पीके अपने काफिले के साथ पटना से कल्याण बिगहा के लिए रवाना हुए थे। लेकिन गांव की सीमा पर भारी पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी ने उनके काफिले को रोक दिया। इसके बाद पीके पैदल ही गांव की ओर बढ़े, लेकिन उन्हें यह कहकर रोक दिया गया कि उनके पास आवश्यक अनुमति नहीं है।

प्रशांत किशोर ने बताया कि वे लगभग दो किलोमीटर पैदल चलकर कई गांवों से गुजरे, जहां किसी ने उन्हें नहीं रोका। लेकिन कल्याण बिगहा में प्रवेश करने से पहले प्रशासन ने उन्हें रोक दिया। पीके ने कहा, “हमें बताया गया कि ऊपर से आदेश है कि कल्याण बिगहा में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। बाकी गांवों में हम जा सकते हैं, लेकिन नीतीश कुमार के गांव में नहीं।”

कल्याण बिगहा के कुछ लोग पीके से मिलने गांव की सीमा पर आए और अपनी समस्याएं साझा कीं। लोगों ने बताया कि जमीन सर्वे और दाखिल-खारिज में रिश्वतखोरी आम बात है। इसके अलावा न तो गरीब परिवारों को आवास के लिए जमीन दी गई है और न ही दो लाख रुपये की वित्तीय सहायता का लाभ मिला है।

वहीं बिहारशरीफ अनुमंडल पदाधिकारी (SDM) ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा कि जन सुराज पार्टी को 18 मई को बिहारशरीफ के श्रम कल्याण मैदान में जनसभा के लिए अनुमति दी गई थी। लेकिन पार्टी ने अनुमति प्राप्त स्थान पर सभा न करके अन्य जगहों पर अभियान चलाने की कोशिश की।

बकौल SDM, जन सुराज पार्टी ने अपने आवेदन का पालन नहीं किया। स्थानीय लोगों से सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन ने विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए त्वरित कार्रवाई की। ऐसा प्रतीत होता है कि विधि-व्यवस्था खराब करने की मंशा से यह कदम उठाया गया। इसकी विस्तृत जांच की जाएगी और गड़बड़ी फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वहीं प्रशांत किशोर ने प्रशासन के इस बयान पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है कि एक राजनीतिक दल को लोगों से मिलने और उनकी समस्याएं सुनने से रोका जा रहा है। पीके ने कहा, “हमारा मकसद सिर्फ लोगों की आवाज उठाना था। अगर सरकार को लगता है कि उनके गांव में सब कुछ ठीक है, तो हमें वहां जाने से क्यों रोका गया? यह साफ दर्शाता है कि सरकार सच को सामने आने से डर रही है।”

इस घटना ने बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। विपक्षी दलों ने प्रशासन के इस कदम की आलोचना की है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। वहीं सत्तारूढ़ दल ने प्रशासन के कदम को विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी बताया है।

प्रशांत किशोर ने कहा कि वे अपने अभियान को जारी रखेंगे और बिहार के हर कोने में जाकर लोगों की समस्याओं को उठाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कल्याण बिगहा में प्रवेश न मिलने से उनका हौसला कम नहीं होगा।

बहरहाल, कल्याण बिगहा में प्रशांत किशोर को रोके जाने की घटना ने बिहार में प्रशासनिक पारदर्शिता और लोकतांत्रिक अधिकारों पर सवाल खड़े किए हैं। यह घटना न केवल नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र में सुशासन की स्थिति पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि बिहार में राजनीतिक गतिविधियों को लेकर प्रशासन कितना संवेदनशील है। जन सुराज पार्टी का यह अभियान भविष्य में और कितना रंग लाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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