बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। पावापुरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले चार दिनों से ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं ठप हैं। यहां नालंदा समेत अन्य जिलों से इलाज कराने आए मरीज एवं उनके परिजन बिना इलाज कराये निराश होकर लौट रहे हैं। रोगी अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए यहां ओपीडी की अवधि में पहुंच रहे हैं, लेकिन ओपीडी क्या चार दिनों से इमरजेंसी सेवा भी नहीं मिल पा रही है। लिहाजा मरीजों में नाराजगी देखी जा रही है।
डॉक्टर की पिटाई के विरोध में मेडिकल कॉलेज के इंटर्न डॉक्टर पिछले चार दिनों से हड़ताल पर हैं। चार दिनों से अस्पताल में ओपीडी व इमरजेंसी सेवा पूरी तरह से ठप पड़ी है। ओपीडी सेवा के साथ-साथ इमरजेंसी सेवा ठप रहने से गंभीर रोगी और उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामान करना पड़ रहा है। इस कारण मरीज और उनके परिवार काफी विम्स पावापुरी अस्पताल के बंद पड़ा गेट परेशान दिख रहे हैं।
हड़ताल की वजह से मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ रहा है। शेखपुरा जिला निवासी राजकुमार पांडेय बताते हैं कि वे दो दिनों से यहां पर इलाज कराने के लिए आ रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां से लौटना पड़ रहा है। भाड़ा भी खर्च हो रहा है और इलाज भी नहीं हो पा रहा है।
इसी तरह नवादा निवासी अयोध्या प्रसाद कहते हैं कि वे लगातार दो दिनों से लौट रहे हैं। उनका इलाज भी नहीं हो पा रहा है और आर्थिक बोझ भी वहन करना पड़ रहा है। डॉक्टरों को मरीजों के हित में हड़ताल समाप्त कर देनी चाहिए, ताकि रोगियों को सरकार की ओर से उपलब्ध करायी जा रही चिकित्सा सेवा का लाभ मिल सके। इसी तरह दर्जनों रोगियों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की।
उधर पावापुरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के हड़ताली डॉक्टरों का कहना है कि जब तक मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग को नहीं मान लेते, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। वहीं, प्राचार्य डॉ सर्विल कुमारी और अस्पताल अधीक्षक डॉ अरुण कुमार सिन्हा कहना है कि हड़ताल करने वाले इंटर्न डॉक्टर को इस पर विचार करने को कहा है। जल्द ही इस समस्या का निदान किया जायेगा। ताकि रोगियों को चिकित्सा सेवा मिलनी शुरू हो जाये।
विम्स पावापुरी में चिकित्साकर्मियों के साथ मारपीट, देखें X पर वायरल वीडियो
महिला की मौत के बाद अस्पताल में बवाल, तोड़फोड़, नर्स को छत से नीचे फेंका
जानें नालंदा में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत
सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना के मूल उद्देश्य और समस्याएं
नालंदा के सभी स्कूलों के बच्चों को ताजा अंडा और फल देने का आदेश