राजगीर (नालंदा दर्पण)। मगध साम्राज्य की ऐतिहासिक राजधानी राजगीर में 14 जनवरी से 20 जनवरी तक आयोजित होने वाले राजकीय मकर मेला का अनुसूची जिला प्रशासन ने जारी कर दिया है। इस बार मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेल प्रतियोगिताओं और धार्मिक आयोजनों की भरमार रहेगी। लेकिन चर्चित दही खाओ प्रतियोगिता को अनुसूची से बाहर रखा गया है।
जिला प्रशासन द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार मकर मेले का शुभारंभ 14 जनवरी को सुबह 11 बजे युवा छात्रावास (मेला थाना) परिसर में होगा। उद्घाटन के तुरंत बाद कृषि मेला और विभागीय स्टॉल का आयोजन होगा। उसी दिन स्टेट गेस्ट हाउस मैदान में पतंग प्रतियोगिता (पतंग उत्सव) का आयोजन किया जाएगा।
मेले के दौरान प्रतिदिन सुबह 11 बजे से दोपहर 5 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। पहले सत्र में स्थानीय विद्यालयों के बच्चों द्वारा प्रस्तुतियां होंगी। जबकि दूसरे सत्र में जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग के कलाकार रंगारंग प्रदर्शन करेंगे। हालांकि, स्थानीय लोगों का मानना है कि लगातार पांच घंटे के कार्यक्रमों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए, ताकि दर्शकों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
मकर मेले के दौरान दंगल प्रतियोगिता विशेष आकर्षण का केंद्र होगी, जिसमें देशभर के पुरुष और महिला पहलवान भाग लेंगे। इसके अलावा फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबॉल और एथलेटिक्स जैसी प्रतियोगिताएं खेल प्रेमियों को उत्साहित करेंगी। इस बार मकर मेले में खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शानदार मिश्रण देखने को मिलेगा। प्रमुख गतिविधियां इस प्रकार हैं-
- 14 जनवरी: पतंग प्रतियोगिता और कृषि मेला।
- 15 जनवरी: संत समागम यात्रा और शाही स्नान, जिसमें सप्तधारा और ब्रह्मकुंड में स्नान होगा।
- 15-16 जनवरी: मलमास मेला सैरात भूमि पर दंगल प्रतियोगिता।
- 15-18 जनवरी: फुटबॉल और क्रिकेट प्रतियोगिता।
- 16 जनवरी: वॉलीबॉल प्रतियोगिता और विख्यात कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुति।
- 17 जनवरी: कबड्डी प्रतियोगिता, बच्चों की क्विज और वाद-विवाद प्रतियोगिता।
- 18 जनवरी: एथलेटिक्स प्रतियोगिता।
- 19 जनवरी: टमटम और पालकी सजावट प्रतियोगिता।
- 20 जनवरी: दुधारू पशु और कृषि उत्पाद प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक, और समापन समारोह।
हालांकि इस बार अनुसूची से दही खाओ प्रतियोगिता के गायब होने से कई स्थानीय संगठनों और प्रतिभागियों ने नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि दही खाओ प्रतियोगिता मेले की मुख्य पहचान है और इसे हटाना परंपरा के साथ अन्याय है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मकर मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, बल्कि यह स्थानीय परंपराओं और पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। दही खाओ प्रतियोगिता जैसी परंपरागत गतिविधियों को हटाना मेले के आकर्षण को कम कर सकता है। इसीलिए प्रशासन से मांग की जा रही है कि अनुसूची में संशोधन कर दही खाओ प्रतियोगिता को वापस लाया जाए।
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