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राजगीर में हजारों मकान अवैध, नगर परिषद के पास नहीं है कोई रिकार्ड

राजगीर (नालंदा दर्पण)। राजगीर नगर परिषद में दिन व दिन बड़े पैमाने पर नये मकान बनाये जा रहे हैं। नए-नए इलाके और मुहल्ले विकसित हो रहे हैं। कृषि भूमि आवासीय और व्यवसायिक बन रहा है।

नगर परिषद की रिकॉर्ड के अनुसार राजगीर जब नगर पंचायत था, तब यहां सभी प्रकार के मकानों की संख्या करीब 6850 थी। अब जब नगर परिषद बन गया है, तब 2011 के जनगणना अनुसार मकानों की संख्या बढ़कर 13 हजार से अधिक हो गया है।

सच्चाई है कि 2011 के बाद करीब 14 वर्षों के अंतराल के सैंकड़ों आवासीय-गैर आवासीय मकान, होटल, शैक्षणिक-प्रशैक्षणिक आदि भवनों का निर्माण नगर परिषद क्षेत्र में हुआ है।

रिकॉर्ड के अनुसार होल्डिंग टैक्स धारक गृह स्वामियों की संख्या नगर परिषद क्षेत्र में करीब चार हजार है। यानि नगर के करीब नौ हजार से अधिक मकानों का होल्डिंग टैक्स अबतक निर्धारित नहीं किया गया है। अर्थात नौ हजार से अधिक मकानों का रिकॉर्ड नगर परिषद के पास नहीं है।

इससे जाहिर होता है कि नगर में बने अधिकांश नए मकान का परमिशन नगर परिषद से नहीं लिया गया है। मकान बनाने में बिहार भवन विधि 2014 के मापदंडों का पालन नहीं किया गया है। फलस्वरुप आंतरिक नगर परिषद क्षेत्र में बिना परमिशन और नक्शा पास के बने मकान का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

नगर परिषद क्षेत्र में मकान बनाने में बिल्डिंग बायलॉज की अनदेखी बड़े पैमाने पर की गई है। मकान बनाने में बिहार भवन विधि 2014 के मापदंडों का अनुपालन नहीं किया गया है। आवासीय और वाणिज्यिक मकानों के लिए अलग-अलग शुल्क देय है।

नियमानुसार मकान बनाने वाले व्यक्ति को नगर परिषद कार्यालय से निबंधित इंजीनियर द्वारा तैयार किया गया नक्शा सर्टिफिकेट प्राप्त करना आवश्यक है। उसके बाद ही आगे का निर्माण करने का प्रवधान है। मकान बनाने के साथ अग्निरोधी, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था और बिल्डिंग बायोलॉज नियमावली का शतप्रतिशत अनुपालन आवश्यक है।

रिकॉर्ड के अनुसार नगर परिषद (नगर पंचायत) में कुल 19 वार्ड थे। उन 19 वार्डों में कुल 6850 मकान था। हालांकि यह आंकड़े भी वास्तविकता से दूर है, क्योंकि एक दशक में राजगीर में भवन निर्माण में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

नगर परिषद का विस्तार हुए करीब डेढ़ साल से अधिक हो गया है। नगर सरकार के गठन का भी करीब 11 महीने हो रहे हैं। बावजूद विस्तारित क्षेत्र के वार्डों के आवासीय और गैर आवासीय मकानों का सर्वे अबतक नहीं हुआ है। जब सर्वे और गणना नहीं हुआ है, तो होल्डिंग टैक्स का निर्धारण कैसे होगा।

हालांकि नगर परिषद के सभी वार्डों के आवासीय और व्यवसायिक मकानों का सर्वेक्षण तथा गणना नये सिरे से होना है लेकिन व्यवस्था दोष के कारण नगर सरकार द्वारा यह काम नहीं किया जा सका है।

फलस्वरूप करोड़ों रुपये होल्डिंग बनाने के बाद परमिशन की प्रक्रिया शुरू होती है। नक्शा साथ परमिशन के लिए आवेदन नगर परिषद कार्यालय में जमा किया जाता है। नगर परिषद कार्यालय टैक्स की क्षति नगर परिषद को हो रही है। 13 हजार से अधिक मकानों में केवल चार हजार मकानों की ही होल्डिंग टैक्स का निर्धारण अकर्मण्यता का जीता जागता उदाहरण है।

दूसरी तरफ नगर परिषद क्षेत्र में प्रतिदिन किसी ने किसी वार्ड में नए नए मकान का निर्माण बिना अनुमति पत्र और नक्शा पास के हो रहा है जबकि म्युनिसिपल एक्ट और आयोजन प्राधिकारी क्षेत्र में बगैर अनुमति और नक्शा पास के भवन निर्माण करना वर्जित है। अनुमति पत्र के साथ रहती है, वशर्तें: नगर परिषद द्वारा जब मकान बनाने का अनुमति पत्र दिया जाता है, तो उसमें दर्जन भर शर्तें निर्धारित रहती है।

कार्य प्रारंभ करने की सूचना भवन एवं नियमावली फॉर्म भरकर नगर परिषद कार्यालय में समर्पित करना होता है। नक्शा साथ दिए गए निर्देशों का पालन करने तथा प्लिंथ लेवल तक कार्य करने के पश्चात उसका डीसी द्वारा जिम्मेदार पदाधिकारी से जांच कराने और उनके रिपोर्ट के आधार पर कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा मकान बनाने की अनुमति प्रदान की जाती है।

बोलीं नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी सुश्री दिव्या शक्तिः  राजगीर नगर परिषद के सभी वार्डों के आवासीय, गैर आवासीय और व्यवसायिक मकानों का सर्वे आउटसोर्सिंग द्वारा शुरू कराया गया था। लेकिन कतिपय कारणों से जिला पदाधिकारी द्वारा रोक लगा दी गयी है। फिर से आउटसोर्सिंग द्वारा नगर परिषद के सभी प्रकार के मकानों का सर्वे कराया जायेगा। सर्वे उपरांत नगर के मकानों का नये सिरे से होल्डिंग टैक्स के अलावे अन्य टैक्स का निर्धारण और वसूली किया जाएगा।

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