राजगीर (नालंदा दर्पण)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त महानिदेशक एवं उत्खनन एवं संरक्षण महानिदेशक डॉ प्रवीण कुमार मिश्रा दो दिवसीय दौरे पर राजगीर पहुंचे और मगध सम्राट अजातशत्रु के किले के उत्खनन कार्य का निरीक्षण किया गया। साइट डायरेक्टर और अधीक्षण पुरातत्वविद् उत्खनन सुजीत नयन द्वारा उत्खनन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।
निरीक्षण के दौरान महानिदेशक मिश्रा ने कहा कि मगध साम्राज्य की ऐतिहासिक राजधानी रही राजगीर की पुस्तकों और साहित्य में अबतक पढ़ा गया है। मगध और अजातशत्रु किला के वैभव की प्रमाणिकता हेतु उत्खनन कराया जा रहा है। उत्खनन बाद ही मगध साम्राज्य और अजातशत्रु किले की वैभव की प्रमाणिकता साबित होगी।
उन्होंने बताया कि किले के दोनों भाग में उत्खनन कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां के वैभव की खोज की जा रही है। यह क्षेत्र बहुत बड़ा है। विस्तारित क्षेत्र होने के कारण समय लगेगा। अजातशत्रु किला में बहुत लेयर है। अभी प्रथम लेयर का उत्खनन हो रहा है। काल कार्यक्रम का निर्धारण करने में अभी समय लगने की संभावना है। किस लेयर में किस कालक्रम का कनेक्शन है, इन अवशेषों को देखकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
उत्खनन एवं संरक्षण महानिदेशक डॉ प्रवीण कुमार मिश्रा ने कहा कि प्रारंभिक स्टेज में खुदाई के कार्य किये जा रहे हैं। उत्खनन में मृदभांड, पानी रखने के बर्तन, अस्थियाँ एवं अन्य पुरावशेष मिल रहे तब तक कुछ भी बताया नहीं जा सकता है।
इस निरीक्षण के दौरान संयुक्त महानिदेशक के अलावे उत्खनन साइट निदेशक एवं अधीक्षण पुरातत्वविद् उत्खनन सुजीत नयन, नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो चंद्रभूषण मिश्रा, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के सीए अमृत झा एवं अन्य स्थानीय पदाधिकारी मौजूद थे।
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