राजस्व महाअभियान: नालंदा में बिचौलियों का बोलबाला, रैयत परेशान

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला मुख्यालय स्थित समाहरणालय के जिला अभिलेखागार में इन दिनों भारी भीड़ उमड़ रही है। इसका कारण है 16 अगस्त से 20 सितंबर तक पंचायत स्तर पर आयोजित राजस्व महाअभियान शिविर। इस अभियान के तहत रैयत (जमीन मालिक) अपने पुश्तैनी जमीन का खतियान (नकल) निकालने के लिए सुबह से ही अभिलेखागार में जमा हो रहे हैं। पहले जहां औसतन 150-200 चिरकुट फॉर्म जमा होते थे, वहीं अब प्रतिदिन 1100-1250 फॉर्म जमा हो रहे हैं, जो पहले की तुलना में 570% से अधिक वृद्धि दर्शाता है।
अभिलेखागार में बढ़ती भीड़ के कारण अव्यवस्था का आलम है। कर्मचारी सुबह 12 बजे तक ही चिरकुट फॉर्म स्वीकार करते हैं, जिससे दूर-दराज से आए ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रैयतों का कहना है कि भीड़ का फायदा उठाकर बिचौलिए सक्रिय हो गए हैं। एक खतियान नकल निकालने के लिए लोगों को 1-2 हफ्ते तक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, जबकि बिचौलिए 500 से 1200 रुपये वसूलकर 1-2 दिन में ही नकल उपलब्ध करा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार सरकारी दर पर 5 रुपये में मिलने वाला फॉर्म-28 दुकानदार 20 रुपये में बेच रहे हैं। इस अवैध वसूली और बिचौलिया प्रथा से आम लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। कुछ नौकरीपेशा और कारोबारी लोग समय बचाने के लिए मजबूरन बिचौलियों का सहारा ले रहे हैं, जिससे उनका मनोबल और बढ़ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना यह खेल संभव नहीं है।
जिला अभिलेखागार में कई मौजा (गांव) के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं। इस्लामपुर, हिलसा, बिहारशरीफ जैसे अंचलों के कई मौजा के खतियान गायब हैं, जिससे रैयतों को भारी परेशानी हो रही है। बार-बार खोजे जाने के कारण कुछ रिकॉर्ड पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। हालांकि उपलब्ध अभिलेखों को स्कैन कर पोर्टल पर सुरक्षित कर लिया गया है, लेकिन नालंदा के पटना जिला से अलग होने के बाद कई कागजात यहां नहीं पहुंचे, जिससे समस्या और जटिल हो गई है।
राज्य सरकार ने राजस्व महाअभियान शुरू किया था, ताकि रैयतों को एक ही छत के नीचे जमीन से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान मिल सके और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है। उनका आरोप है कि शिविरों में जानबूझकर लोगों को परेशान किया जाता है। कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा छोटी-छोटी कमियों को बहाना बनाकर आवेदन खारिज कर दिए जाते हैं। वहीं, अगर कोई रिश्वत देता है तो उसी अधूरे कागजात पर तुरंत समस्या सुलझा दी जाती है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि राजस्व महाअभियान में पारदर्शिता लाई जाए और रैयतों की समस्याओं का वास्तविक समाधान हो। उनका कहना है कि बिचौलियों की सक्रियता और कर्मचारियों की मिलीभगत पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। साथ ही अभिलेखागार में रिकॉर्ड की अनुपलब्धता और क्षतिग्रस्त दस्तावेजों की समस्या को दूर करने के लिए ठोस उपाय किए जाएं।









