Home गाँव जेवार बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में देखिए पढ़ाई...

बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में देखिए पढ़ाई का हाल

0

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा का एक सरकारी विद्यालय, जिसे शिक्षा के आदर्श संस्थान के रूप में देखा जाना चाहिए था, आज दयनीय स्थिति में है।

रहुई प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय दौलतपुर और प्राथमिक विद्यालय रघुनाथपुर की इमारत में चल रही व्यवस्था राज्य की शिक्षा नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।See the condition of the school in Nalanda the home district of Bihar CM Nitish Kumar 4

एक छत के नीचे दो स्कूलों की दुर्दशाः यह विद्यालय दो अलग-अलग स्कूलों का संचालन कर रहा है, जो 2013 से एक ही इमारत साझा कर रहे हैं। दौलतपुर विद्यालय के छात्र और रघुनाथपुर प्राथमिक विद्यालय के बच्चे उसी इमारत में पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

कुल 90 छात्रों के लिए यह न केवल असुविधाजनक है बल्कि शिक्षकों के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। संसाधनों की भारी कमी और जगह की तंगी ने बच्चों की शिक्षा को बाधित कर दिया है।

अंधकार में बच्चों का भविष्यः छात्रों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि जगह की कमी के चलते तीन से चार कक्षाओं के छात्रों को एक साथ बैठना पड़ता है। यह व्यवधान बच्चों की शिक्षा को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।

अगर आठवीं कक्षा की पढ़ाई हो रही है तो छठी और सातवीं कक्षा के बच्चे केवल बैठे रहते हैं। न सिर्फ पढ़ाई, बल्कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ रहा है।

मौसमी समस्याओं ने बढ़ाई परेशानियां: बरसात के मौसम में स्थिति और भी विकट हो जाती है। बरामदे में पढ़ने वाले बच्चों को भी कमरों में समायोजित करना पड़ता है, जिससे स्कूल की संकुलता और बढ़ जाती है।

शिक्षकों को भी अपनी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभाने में कठिनाई हो रही है, क्योंकि न तो पर्याप्त कमरे हैं और न ही बच्चों के बैठने के लिए बेंच-डेस्क उपलब्ध हैं।

शिक्षकों की दुश्वारियां और प्रशासन की उदासीनता: स्कूल के प्रधानाध्यापक सुधीर प्रसाद ने बताया कि विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं की कमी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। मिड-डे मील की सामग्री को भी उन्हीं कमरों में रखा जाता है, जहां बच्चे पढ़ते हैं। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए भी प्रशासन उदासीन बना हुआ है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार का कहना है कि उन्हें इस स्थिति की जानकारी नहीं थी, और अब मामले की जांच की जा रही है।

समाज के विकास के लिए शिक्षा पर ध्यान जरूरीः यह मामला सिर्फ इस विद्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि बिहार के कई ग्रामीण इलाकों में सरकारी विद्यालयों की स्थिति यही है।

अगर शिक्षा के मंदिर ही टूटने लगेंगे तो बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। सरकार और प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं मिल सकें।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!
Exit mobile version