डायट नूरसराय में यौन उत्पीड़न का मामला गरमाया, व्याख्याता पर गंभीर आरोप
सवाल यह उठता है कि क्या उच्चस्तरीय जांच समिति डॉ. राहुल कुमार को दोषी मानती है? संस्थान की प्राचार्य पर लगे आरोपों की भी होगी जांच? क्या शिक्षा विभाग और प्रशासन ऐसे घिनौने कृत्य पर ठोस कार्रवाई करेगा? या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा?

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में स्थित जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान (डायट) नूरसराय इन दिनों एक गंभीर और शर्मनाक प्रकरण को लेकर सुर्खियों में है। संस्थान के संगीत एवं कला विषय के व्याख्याता डॉ. राहुल कुमार पर यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इस बार आरोप किसी छात्रा या महिला कर्मी ने नहीं, बल्कि संस्थान में कार्यरत पुरुष दैनिक कर्मियों- मेसकर्मी, सुरक्षा गार्ड और अन्य सहायकों द्वारा लगाए गए हैं।
इस मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ लिया है। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अत्यंत पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शशिभूषण पंडित ने जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर आरोपी व्याख्याता पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी।
प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि डॉ. राहुल कुमार डायट के पुरुष छात्रावास के वार्डेन भी हैं। वह विगत कई वर्षों से संस्थान में कार्यरत पुरुष कर्मियों के साथ यौन शोषण कर रहे हैं। रात के समय छात्रावास में घुसकर वे अशोभनीय और आपत्तिजनक हरकतें करते हैं, जो सीधे तौर पर यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है।
आरोपों के मुताबिक डॉ. राहुल कुमार ने अपने पद और रुतबे का दुरुपयोग करते हुए कर्मियों को मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया। आश्चर्यजनक रूप से संस्थान की प्रभारी प्राचार्य डॉ. फरहत जहां पर इन आरोपों को दबाने और मामले को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगा है।
कांग्रेस नेता के अनुसार उन्हें 21 मई को मामले की जानकारी मिली। जिसके बाद संस्थान में 7 सदस्यीय जांच समिति गठित की गई। उसी दिन डॉ. राहुल से स्पष्टीकरण भी मांगा गया। जांच समिति की रिपोर्ट में उन्हें दोषी करार दिया गया। जिसके बाद उनसे पुरुष छात्रावास का प्रभार वापस ले लिया गया।
जांच रिपोर्ट 3 जून को एससीईआरटी पटना के निदेशक को सौंप दी गई। जिन्होंने 9 जून को तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया। इस समिति में संयुक्त निदेशक सुषमा कुमारी को अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि डॉ. स्नेहाशीष दास और डॉ. फरहत जहां को सदस्य नामित किया गया है।
प्रदेश कांग्रेस नेता ने स्पष्ट कहा है कि यदि प्रशासन और शिक्षा विभाग इस गंभीर मामले में लीपापोती करता है या कोई सख्त कदम नहीं उठाता तो पार्टी जनता के बीच जाकर आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जिले के एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में इस तरह की घटनाएं पूरे राज्य के लिए शर्मनाक हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या उच्चस्तरीय जांच समिति डॉ. राहुल कुमार को दोषी मानती है? संस्थान की प्राचार्य पर लगे आरोपों की भी होगी जांच? क्या शिक्षा विभाग और प्रशासन ऐसे घिनौने कृत्य पर ठोस कार्रवाई करेगा? या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा?
बहरहाल, इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल डायट नूरसराय की छवि पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि राज्य में शैक्षणिक संस्थानों की आंतरिक कार्यप्रणाली और अनुशासन पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा विभाग और सरकार इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।









