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31 जुलाई तक सीएमआर की शत-प्रतिशत आपूर्ति करने का सख्त आदेश

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में धान खरीद के बदले चावल (सीएमआर) की आपूर्ति में हो रही देरी को लेकर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। जिला पदाधिकारी (डीएम) कुंदन कुमार की अध्यक्षता में आयोजित एक समीक्षा बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि 31 जुलाई 2025 तक सभी सहकारी समितियों (पैक्स) और राइस मिलरों को शत-प्रतिशत सीएमआर राज्य खाद्य निगम को जमा करना होगा। इस निर्देश को अंतिम समयसीमा बताते हुए डीएम ने चेतावनी दी कि इसमें किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

समीक्षा बैठक में सामने आया कि जिले की सहकारी समितियों द्वारा खरीदे गए धान के बदले अब तक केवल 88.15% सीएमआर की आपूर्ति की गई है। लगभग 490 लॉट सीएमआर अभी भी 122 समितियों पर बकाया है। विशेष रूप से एकसारा, पंचलोवा, नीरपुर, खैरा, सारे, पोखरपुर और चेरो जैसी समितियों पर बकाया लॉट की संख्या अधिक होने के कारण इन पर प्रशासन की कड़ी नजर है।

डीएम ने सवाल उठाया कि जब कुछ प्रखंड में शत-प्रतिशत आपूर्ति कर सकते हैं तो बाकी समितियां और मिलर क्यों पीछे रह रहे हैं? उन्होंने सभी संबंधित पक्षों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने और निर्धारित समयसीमा तक लक्ष्य पूरा करने का निर्देश दिया।

जिला पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार ने सीएमआर आपूर्ति की अंतिम समयसीमा 5 अगस्त तक बढ़ाई है, लेकिन नालंदा जिला प्रशासन ने 31 जुलाई को स्थानीय स्तर पर अंतिम तिथि निर्धारित की है। इस समयसीमा के बाद किसी भी प्रकार का विस्तार नहीं दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जो पैक्स और मिलर समय पर शत-प्रतिशत सीएमआर जमा नहीं करेंगे, उनके खिलाफ धान गबन के आरोप में कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही नीलाम पत्रवाद दायर किया जाएगा।

डीएम ने उन समितियों और मिलरों को चिह्नित करने का आदेश दिया, जो आपूर्ति में टालमटोल कर रहे हैं या पर्याप्त रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

समीक्षा के दौरान यह भी पाया गया कि कई राइस मिलें अपने दैनिक लक्ष्य के अनुरूप सीएमआर तैयार करने में असफल रही हैं।

डीएम ने ऐसे मिलरों को अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि वे 31 जुलाई तक अपने लक्ष्य को पूरा करें, अन्यथा उनकी अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) रद्द करने सहित सख्त कार्रवाई की जाएगी।

डीएम ने जोर देकर कहा कि यह नालंदा के किसानों और सहकारी समितियों की विश्वसनीयता का सवाल है। अगर समय पर आपूर्ति नहीं हुई तो यह न केवल प्रशासनिक विफलता होगी, बल्कि किसानों के हितों को भी नुकसान पहुंचेगा।

डीएम ने सहकारिता विभाग के सभी पदाधिकारियों को दैनिक आधार पर सीएमआर आपूर्ति की प्रगति की समीक्षा करने का निर्देश दिया। सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि बकाया सीएमआर की आपूर्ति समयबद्ध तरीके से पूरी हो। इसके लिए पैक्स अध्यक्षों, प्रबंधकों, और मिलरों के साथ नियमित बैठकें आयोजित करने का आदेश दिया गया।

बैठक में नगर आयुक्त, उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्ता, अपर समाहर्ता (पद प्रबंधन), सभी अनुमंडल पदाधिकारी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी और नजारत शाखा उपसमाहर्ता उपस्थित थे।

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