बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण संवाददाता)। नालंदा जिले में लिंगानुपात की स्थिति दिन-प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है। यदि यह स्थिति यूं ही बनी रही तो आने वाले समय में बेटियों की कमी हर परिवार को खल सकती है।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक बिहार में प्रति 1000 पुरुषों पर 866 महिलाओं का औसत है, लेकिन नालंदा जिला इस मामले में 31वें स्थान पर है, जहां यह अनुपात मात्र 821 है। इस असंतुलन का प्रमुख कारण भ्रूण हत्या को माना जा रहा है, जो सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से एक गंभीर समस्या है।
नालंदा में लिंगानुपात की कमी का सबसे बड़ा कारण गर्भ में लिंग जांच और उसके बाद गर्भपात की घटनाएं हैं। सरकार ने अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग जांच पर सख्त प्रतिबंध लगाया है, लेकिन अवैध रूप से संचालित होने वाले अल्ट्रासाउंड केंद्रों में यह प्रथा चोरी-छिपे जारी है।
सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि इस आंकड़े में सुधार के लिए समाज को बेटा-बेटी के बीच भेदभाव को खत्म करना होगा। गर्भ में बेटा या बेटी का निर्धारण करना मेडिकल साइंस से परे है। लोगों को जागरूक होकर भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथा को रोकना होगा।
विगत तीन माह (अप्रैल से जून) के आंकड़ों के अनुसार नालंदा जिले में कुल 3695 लड़कों और 3033 लड़कियों का जन्म दर्ज किया गया। यानी प्रति 1000 लड़कों पर केवल 821 लड़कियां जन्म ले रही हैं।
कुछ प्रखंडों में यह स्थिति और भी भयावह है। गिरियक, नूरसराय, नगरनौसा और परवलपुर प्रखंडों में लिंगानुपात में 60 प्रतिशत तक की असमानता देखी गई है। इनमें परवलपुर में सबसे कम 643, नगरनौसा में 664, नूरसराय में 675 और गिरियक में 686 महिलाओं का औसत दर्ज किया गया।
हालांकि कुछ प्रखंडों में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है। सरमेरा में प्रति 1000 पुरुषों पर 1040 महिलाएं, कतरीसराय में 1026 और रहुई में 1006 महिलाओं का औसत दर्ज किया गया है। ये आंकड़े निश्चित रूप से राहत देने वाले हैं, लेकिन जिले की समग्र स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है।
नालंदा जिले के विभिन्न प्रखंडों में लिंगानुपात का आंकड़ा इस प्रकार है:
| प्रखंड | प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाएं |
| सरमेरा | 1040 |
| कतरीसराय | 1026 |
| रहुई | 1006 |
| सिलाव | 935 |
| राजगीर | 905 |
| हिलसा | 891 |
| एकंगरसराय | 860 |
| इसलामपुर | 843 |
| बिहारशरीफ | 814 |
| करायपरसुराय | 802 |
| अस्थावां | 792 |
| वेन | 791 |
| थरथरी | 760 |
| बिंद | 733 |
| गिरियक | 686 |
| नूरसराय | 675 |
| नगरनौसा | 664 |
| परवलपुर | 643 |
आंकड़ों से स्पष्ट है कि नालंदा जिले में लिंगानुपात की स्थिति गंभीर है। प्रशासन ने अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर नकेल कसने और निजी क्लिनिकों से आंकड़े जुटाने का निर्देश दिया है, लेकिन केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। समाज को भी इस दिशा में जागरूक होने की जरूरत है। बेटियों को बोझ समझने की मानसिकता को बदलना होगा। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं को और प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है।
डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने जोर देकर कहा कि लिंगानुपात में सुधार के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। स्कूलों, कॉलेजों और पंचायत स्तर पर लोगों को बेटियों के महत्व और भ्रूण हत्या के दुष्परिणामों के बारे में शिक्षित करना होगा। साथ ही, अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर कड़ी कार्रवाई और नियमित निगरानी जरूरी है।
