करायपरसुराय में महत्वाइन नदी का तटबंध टूटा, गांवों में मची तबाही

हिलसा (नालंदा दर्पण)। झारखंड में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने नालंदा जिले के करायपरसुराय प्रखंड में तबाही मचा दी है। महत्वाइन नदी का पूर्वी तटबंध टूटने से प्रखंड क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ का पानी तेजी से घुस गया है। इससे सैकड़ों एकड़ खेतों में लगी धान की फसल जलमग्न हो गई और किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। प्रभावित गांवों में सदरपुर, मुशाढ़ी, कमरथू, फतेहपुर और बैरीगंज शामिल हैं। यहां बाढ़ का पानी खेतों और गलियों में फैल गया है।
महत्वाइन नदी का पूर्वी तटबंध लगभग 30 फुट की चौड़ाई में टूट गया। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि तटबंध आंगनबाड़ी और प्राथमिक विद्यालय से मात्र 100 फुट की दूरी पर टूटा। इसके चलते खेतों में पानी भर गया, जिससे धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि तटबंध टूटने की सूचना पूरे प्रखंड में हवा की तरह फैल गई, लेकिन प्रशासन और संबंधित विभाग की ओर से कोई मदद नहीं पहुंची।
स्थानीय किसानों ने तटबंध को बांधने की भरपूर कोशिश की। लेकिन पानी की तेज धार के कारण वे इसमें असफल रहे। ग्रामीणों का कहना है कि यदि तटबंध की मरम्मत जल्द नहीं की गई तो बाढ़ का पानी घरों में घुस सकता है। सदरपुर गांव की गलियों में पहले ही एक से दो फुट पानी जमा हो चुका है। ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति गहरा रोष है, क्योंकि समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की गई।
बाढ़ का पानी फरासपुर, चन्दपुर, गोदू विगहा, सदरपुर, कमरथू और डियावां जैसे गांवों में फैल गया है। प्रखंड के दर्जनों स्कूल बाढ़ की चपेट में हैं, जिससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। जिन स्कूलों में पानी घुस गया है, वहां के शिक्षकों को पास के सुरक्षित स्कूलों में स्थानांतरित किया गया है। साथ ही उन गांवों के बच्चों को, जहां पहुंच मार्ग में पानी भरा है। स्थिति सामान्य होने तक स्कूल न आने की सलाह दी गई है। इसकी सूचना वरीय अधिकारियों को दे दी गई है।
किसानों ने प्रशासन से तटबंध की तत्काल मरम्मत और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य शुरू करने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो नुकसान और बढ़ेगा। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खेतों के साथ-साथ घरों और सड़कों पर पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल है।
बहरहाल, करायपरसुराय प्रखंड में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है। प्रशासन की उदासीनता और समय पर कार्रवाई न होने से ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ रहा है। तटबंध की मरम्मत और राहत कार्यों में देरी से न केवल किसानों की आजीविका पर असर पड़ रहा है, बल्कि स्कूलों और गांवों की सामान्य दिनचर्या भी ठप हो गई है। प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके।









