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राजगीर की मूल पहचान के अस्तित्व पर संकट, सूख रहे हैं गर्मजल कुंड व झरनें

The existence of Rajgir's original identity is in danger, hot water pools and waterfalls are drying up
The existence of Rajgir's original identity is in danger, hot water pools and waterfalls are drying up

राजगीर (नालंदा दर्पण)। एक तरफ जहां अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगर क्षेत्र में आधुनिक साज-सज्जा पर खूब खर्चो ध्यान दिया जा रहा है, वहीं यहां के पौराणिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है।

बता दें की राजगीर की मूल पहचान प्राचीन धरोहर गर्मजल के कुंड व झरने हैं। इनके ऊपर संकट के बदले मंडरा रहे हैं। एक के बाद एक कुंड सूखते जा रहे हैं। उसका कारण कुंड और प्रभावित वन क्षेत्रों में सैंकड़ों डीप बोरिंग है। जिससे कुंडों के जलस्रोतों का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है। उसका प्रतिकूल प्रभाव गर्म जल के कुंडों पर पड़ रहा है।

इस संबंध में राजगीर विकास समिति द्वारा पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार से राजगीर के धरोहर गर्म जल के कुंडों और वन क्षेत्रों की रक्षा करने तथा भेलबाडोभ जलाशय की खुदाई करने की गुहार लगाई है। उन्हें ज्ञापन सौंप कर चकरा घाटी में जलाशय निर्माण की भी मांग की गई है।

समिति का मानना है कि इन समस्याओं के निदान के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने और गर्म पानी के बोरिंग को बंद करवाना बहुत जरुरी है। विकास के नाम पर राजगीर के जंगलों के हजारों पेड़ों के कटाई की गयी है। जितनी संख्या में पेड़ों की कटाई हुई है, उतनी संख्या में पौधारोपण नहीं किया गया है। यही कारण है कि राजगीर में अत्यधिक गर्मी पड़ रही है।

यही नहीं, राजगीर में भूगर्भीय जल का फिजूल दोहन किया जा रहा है। शहर में गंगाजल की आपूर्ति हो रही है। बावजूद शहरी क्षेत्र हो या कुंड वन क्षेत्र धडल्ले से बोरिंग किया जा रहा है। नये बोरिंग पर बैन और पुराने बोरिंग को बंद कर ही गर्मजल के कुंडों का अस्तित्व बचाया जा सकता है।

सौ फीसदी आशंका है कि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कुंड और गर्म जल की धाराएं तो सुख ही जाएंगे। मलमास मेला, मकर मेला और श्रावणी मेला के अस्तित्व पर भी संकट छा जायेंगे।

पर्यटक शहर के जू सफारी, नेचर सफारी, पांडू पोखर पार्क, वेणुवन, इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, कुंड क्षेत्र के होटल आदि के बोरिंग पर पाबंदी लगाई जा सकती है। धरती के अंदर के पानी को दोहन करने पर रोक लगाने और चकरा घाटी में जलाशय निर्माण की फौरिक जरुरत है।

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