
इस्लामपुर (नालंदा दर्पण)। हिलसा अनुमंडल के इस्लामपुर प्रखंड के बड़ी पैठना गांव में पक्की सड़क की स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि वह कीचड़मय हो गई है। इस सड़क की बदहाली के कारण ग्रामीणों को रोजमर्रा के आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क की यह स्थिति न केवल ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बनी है, बल्कि वाहन चालकों के लिए भी जोखिम भरी साबित हो रही है।
ग्रामीणों महेंद्र यादव, सुरेश यादव, शिवकुमार यादव, नेपाली राम, संजय राम, सुधीर सिंह, नरेश पासवान और मो. इस्लाम ने बताया कि यह सड़क निश्चलगंज मार्ग से जुड़ी हुई है और इसे गांव के रास्ते किसुनदेव बिगहा सड़क मार्ग तक जोड़ा जाना था। लेकिन मुहाने नदी पर पुल के निर्माण में देरी के कारण सड़क का काम अधूरा रह गया है।
इसके अलावा सड़क के किनारे बने नाले की स्थिति भी जर्जर है, जिसके कारण नाले का पानी सड़क पर फैल जाता है। बारिश के मौसम में यह समस्या और गंभीर हो जाती है, क्योंकि सड़क पूरी तरह कीचड़मय हो जाती है।
ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के समय कीचड़मय सड़कों से गुजरना बेहद मुश्किल हो जाता है। पैदल चलने वाले लोगों को जहां हर कदम पर फिसलने का डर रहता है। वहीं बाइक और साइकिल चालकों के लिए यह सड़क और भी खतरनाक साबित होती है। कई बार इस सड़क पर वाहन चालकों के साथ दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि इस सड़क की मरम्मत और नाले की सफाई के लिए कई बार स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सड़क निर्माण की यह परियोजना अधूरी रहने के कारण ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि मुहाने नदी पर समय रहते पुल का निर्माण कर लिया गया होता तो सड़क का काम पूरा हो सकता था और आज यह स्थिति नहीं होती। इसके साथ ही नाले की जर्जर स्थिति ने समस्या को और जटिल कर दिया है।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि सड़क पर कीचड़ जमा होने के कारण बच्चों को स्कूल जाने और किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने में भी परेशानी हो रही है।
ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस समस्या पर तत्काल ध्यान दें। सड़क की मरम्मत, नाले की सफाई और पुल के निर्माण का काम जल्द से जल्द शुरू किया जाए। अगर समय रहते इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो उनकी परेशानियां और बढ़ेंगी।
दरअसल, बड़ी पैठना गांव की यह समस्या केवल एक सड़क की बदहाली तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी और प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक है। अब स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर क्या गंभीरता दिखाते हैं? यह देखने वाली बात होगी।









