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बिहारशरीफ सीट पर त्रिकोणीय घमासान: जनसुराज ने 53.05% मतदान में जोड़ा रोमांच!

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण विशेष संवाददाता)। बिहार की राजनीतिक धरती पर नालंदा जिले की बिहारशरीफ विधानसभा सीट इस बार एकदम ‘हॉट सीट’ बन चुकी है। जहां एक ओर एनडीए की धुरी पर सवार भाजपा के दिग्गज नेता और वर्तमान वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. सुनील कुमार मैदान में हैं, वहीं महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के उभरते चेहरे उमैर खान ने सीधा चैलेंज फेंका है।

लेकिन इस चुनावी रिंग में सिर्फ दो ही खिलाड़ी नहीं हैं। यहां कुल दस प्रत्याशी भाग्य की परीक्षा ले रहे हैं, जिनमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के शिव कुमार यादव, जनसुराज अभियान के पूर्व मेयर दिनेश कुमार और एकमात्र महिला प्रत्याशी सरस्वती कुमारी भी शामिल हैं। लड़ाई न केवल पारंपरिक दलों के बीच है, बल्कि नई राजनीतिक हवाओं के बीच भी है, जहां युवा मतदाताओं का उत्साह और जनसुराज जैसी नई ताकत ने पूरे समर को रोमांचक बना दिया है।

सुबह से ही बिहारशरीफ के गलियारों में चुनावी बुखार चरम पर था। सूरज की पहली किरणों के साथ ही मतदान केंद्रों पर लंबी-लंबी कतारें सज गईं। जिला प्रशासन ने मतदाताओं की सुविधा के लिए 18 चलंत बूथ भी स्थापित किए थे, जो खासतौर पर बुजुर्गों, दिव्यांगों और दूरदराज के गांवों के लोगों के लिए वरदान साबित हुए।

पुलिस प्रशासन भी अलर्ट मोड में था। वाहनों की सरपट दौड़ती आवाजें और चेकपोस्ट पर सख्ती ने शांतिपूर्ण माहौल सुनिश्चित किया। पूरे दिन कहीं से कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं आई, जो बिहार के इस संवेदनशील इलाके के लिए बड़ी उपलब्धि है।

संध्या पांच बजे मतदान समाप्ति के समय तक बिहारशरीफ विधानसभा क्षेत्र में कुल 53.05 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यह आंकड़ा पिछले चुनावों से थोड़ा बेहतर है, लेकिन युवा वोटरों की भागीदारी ने इसे खास बना दिया। पहली बार वोट डालने वाले युवाओं में एक अलग ही जोश दिखा।

स्मार्टफोन पर लाइव अपडेट चेक करते हुए, सोशल मीडिया पर ‘मेरा पहला वोट’ हैशटैग शेयर करते हुए वे मतदान केंद्रों पर उमड़ पड़े। लेकिन इस चुनाव की असली मसालेदार कहानी तो उम्मीदवारों के बीच घमासान में छिपी है। एनडीए समर्थित डॉ. सुनील कुमार, जो पहले से ही मंत्री के रूप में पर्यावरण और वन संरक्षण के मुद्दों पर सक्रिय हैं, ने अपनी साख को भुनाने की पूरी कोशिश की। उनके पक्ष में संगठन की ताकत और विकास के वादे हैं। बिहारशरीफ को ‘हरित शहर’ बनाने का सपना बुनते हुए उन्होंने घर-घर जाकर वोट मांगे। लेकिन राह आसान नहीं।

महागठबंधन के उमैर खान ने मुस्लिम-यादव समीकरण को मजबूत करते हुए सामाजिक न्याय और बेरोजगारी के खिलाफ तीखे प्रहार किए। इस बीच जनसुराज अभियान के पूर्व मेयर दिनेश कुमार ने नई हवा का झोंका ला दिया। प्रशांत किशोर की इस पार्टी ने स्थानीय मुद्दों जैसे सड़क, बिजली और जल निकासी पर फोकस करते हुए पारंपरिक दलों को कड़ी टक्कर दी।

उनकी उपस्थिति ने चुनाव को रोचक बना दिया, खासकर युवाओं और शहरी मध्यम वर्ग में। सीपीआई के शिव कुमार यादव ने मजदूर वर्ग को जोड़ने की कोशिश की, जबकि एकमात्र महिला प्रत्याशी सरस्वती कुमारी ने महिलाओं के सशक्तिकरण का बिगुल फूंका। कुल दस प्रत्याशी होने से वोटों का बिखराव भी संभव है, जो भाजपा प्रत्याशी की राह को थोड़ा मुश्किल तो बना रहा है, लेकिन आसान भी नहीं कह सकते।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बिहारशरीफ में कुल 2.5 लाख से अधिक मतदाता हैं, जिनमें युवाओं की संख्या 35 प्रतिशत से ऊपर है। मतदान के बाद सड़कों पर उम्मीदवारों के समर्थक उत्साहित दिखे। कुछ पटाखे फोड़ते तो कुछ चाय की दुकानों पर बहस में मशगूल।

लेकिन असली सस्पेंस तो मतगणना के दिन ही खुलेगा। क्या डॉ. सुनील कुमार अपनी कुर्सी बरकरार रख पाएंगे? या उमैर खान और दिनेश कुमार जैसे चेहरे नई कहानी लिखेंगे? बिहारशरीफ की यह सीट न केवल नालंदा का भविष्य तय करेगी, बल्कि बिहार की राजनीति में नई धाराएं भी पैदा कर सकती है।

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