चुनावनालंदाबिग ब्रेकिंगबिहार शरीफरहुईसमस्या

ग्रामीणों का विधानसभा चुनाव में बहिष्कार: सड़क नहीं तो मतदान नहीं

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। रहुई प्रखंड के दोस्त पंचायत अंतर्गत बनवारीपुर मोरा गांव के ग्रामीणों ने इस बार विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने का कड़ा निर्णय लिया है। गांव में सैकड़ों ग्रामीण एकत्र होकर रोड नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद करते हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का गुस्सा उनकी वर्षों पुरानी मांग सती स्थान से बराज तक पक्की सड़क निर्माण के प्रति प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के खिलाफ था।

ग्रामीणों ने बताया कि सती स्थान से बराज तक की सड़क वर्षों से कच्ची है, जिसके कारण उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खासकर बरसात के मौसम में यह रास्ता कीचड़ और पानी से लबालब हो जाता है, जिससे पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। खेती-बाड़ी के लिए आवश्यक ट्रैक्टर, मशीनें और अन्य वाहन इस रास्ते से नहीं गुजर पाते, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

ग्रामीण अभिषेक पटेल ने कहा कि हमने कई बार स्थानीय विधायक और सांसद को लिखित आवेदन दिए, लेकिन हर बार हमें सिर्फ आश्वासन मिला। अब हम थक चुके हैं। जब तक सड़क का निर्माण नहीं होगा, हम वोट नहीं देंगे। विजय प्रसाद ने भी गुस्से में कहा कि यह सड़क हमारे लिए जीवन रेखा है। इसके बिना न तो बच्चों का स्कूल जाना आसान है और न ही बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाना।

ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में सड़क की स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। माया देवी ने कहा कि कीचड़ और पानी के कारण पैदल चलना असंभव हो जाता है। कई बार तो बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए हमें मीलों पैदल चलना पड़ता है। मिथिलेश पासवान ने बताया कि इस सड़क के अभाव में खेती के लिए जरूरी सामान लाने-ले जाने में भी भारी दिक्कत होती है। हमारी फसलें खेतों में ही रह जाती हैं, क्योंकि ट्रैक्टर इस रास्ते से नहीं आ पाते।

चंचल पासवान ने कहा कि हमारे गांव के लोग मेहनती हैं, लेकिन सड़क की कमी के कारण हमारा विकास रुका हुआ है। अगर यह सड़क बन जाए तो न सिर्फ किसानों को राहत मिलेगी, बल्कि गांव का समग्र विकास भी होगा।

विरोध प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों में प्रसाद, प्रिंस राज पटेल, अजय कुमार, अमरजीत कुमार, मिथिलेश पासवान, दया मुनिदेवी, सखो देवी, माया देवी, कविता देवी, सुधीर कुमार, शिशुपाल प्रसाद, हर्ष राज, चंचल पासवान और राजन शर्मा जैसे कई लोग शामिल थे। इन सभी ने एक स्वर में मांग की कि सड़क निर्माण के बिना वे किसी भी राजनीतिक दल को समर्थन नहीं देंगे।

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने बार-बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों से इस मुद्दे पर बात की, लेकिन हर बार उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया। कविता देवी ने बताया कि हमने विधायक और सांसद को कई बार पत्र लिखे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब हमारा धैर्य जवाब दे चुका है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन बाद में कोई भी जनप्रतिनिधि गांव की सुध लेने नहीं आता।

ग्रामीणों का मानना है कि यदि सती स्थान से बराज तक पक्की सड़क का निर्माण हो जाए तो गांव की तस्वीर बदल सकती है। सुधीर कुमार ने कहा कि यह सड़क बनने से न सिर्फ आवागमन आसान होगा, बल्कि हमारे उत्पादों को बाजार तक ले जाना भी आसान हो जाएगा। इससे हमारी आय बढ़ेगी और गांव में समृद्धि आएगी।

बहरहाल ग्रामीणों का यह वोट बहिष्कार का फैसला स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। बनवारीपुर मोरा गांव के इस आंदोलन ने अन्य गांवों में भी चर्चा का विषय बन गया है। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस मांग को गंभीरता से लेते हैं या यह मुद्दा चुनावी शोर में दबकर रह जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!