“यह मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र केवल बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए भी लाभदायक साबित होंगे। इनमें महिलाओं के लिए स्वास्थ्य जांच, पोषण संबंधी जानकारी और विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के हर जिले में 40 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल केंद्र के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई है। इस परियोजना के तहत प्रत्येक मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र पर 15 लाख रुपये तक की लागत आने की संभावना है। समाज कल्याण विभाग ने इसके लिए जिलों के अधिकारियों से संभावित केंद्रों की सूची मांगी है।
इस मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों को न सिर्फ बच्चों के पोषण और शिक्षा के लिए उन्नत बनाया जाएगा, बल्कि यहां महिलाओं के लिए भी विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस केंद्र में पोषाहार लेने वाले बच्चों के लिए बेहतर व्यवस्था की जाएगी। हर केंद्र पर स्वच्छ और सुरक्षित किचन के साथ भोजन के लिए विशेष स्थान होगा।
वहीं बच्चों के पढ़ने के लिए किताबें, डेस्क और अन्य शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। बच्चों को हर दिन ड्रेस पहनकर आना अनिवार्य होगा। छोटे बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से डिजाइन किए गए शौचालय बनाए जाएंगे। बच्चों और महिलाओं के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच और उपचार की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
समाज कल्याण विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिलों में असुरक्षित आंगनबाड़ी केंद्रों की पहचान करें और उनकी स्थिति की रिपोर्ट विभाग को सौंपें। इन केंद्रों को या तो मरम्मत करके सुरक्षित बनाया जाएगा या फिर नए केंद्रों के निर्माण के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
इस योजना से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के बच्चों और महिलाओं को लाभ होगा। बेहतर बुनियादी ढांचा और सुविधाओं के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की संख्या बढ़ेगी और उनकी सेहत और शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों को मॉडल केंद्रों के निर्माण के लिए तेज़ी से कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर जिले में कम से कम 40 मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित हों। इन केंद्रों का चयन उनके वर्तमान स्थिति, स्थान और समुदाय की जरूरतों के आधार पर किया जाएगा।
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