
नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत एक नई शुल्क नीति लागू की है। इस नीति के तहत अब गांवों में हर घर से कचरा प्रबंधन के लिए 30 से 60 रुपये प्रतिमाह यूजर चार्ज के रूप में वसूला जाएगा। इस शुल्क का निर्धारण ग्राम पंचायत और वार्ड क्रियान्वयन समिति द्वारा किया जाएगा, ताकि स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार लचीलापन बना रहे।
नई नीति के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े दुकानों, होटलों, सरकारी संस्थानों, शादी-भोज, घरेलू उत्सवों, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों से उत्पन्न होने वाले कचरे के प्रबंधन के लिए 100 से 200 रुपये तक शुल्क लिया जाएगा। इसमें आयोजनों के आसपास जमा होने वाले कचरे का प्रबंधन भी शामिल है। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
नीति में सामाजिक समावेश को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभार्थी परिवारों के लिए विशेष रियायत दी गई है। इन परिवारों से प्रति माह केवल 15 रुपये शुल्क लिया जाएगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग भी स्वच्छता अभियान का हिस्सा बन सकें।
लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत कार्यरत अंशकालिक स्वच्छताकर्मियों को अब हर माह 5000 रुपये और अंशकालिक पर्यवेक्षकों को 9000 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त स्वच्छताकर्मियों को उपयोगिता शुल्क के रूप में वसूली गई राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा भी प्रदान किया जाएगा। इस पहल से राज्य के 1.41 लाख अंशकालिक स्वच्छताकर्मियों और 8 हजार अंशकालिक पर्यवेक्षकों को सीधा लाभ मिलेगा।
वेतन का वित्त पोषण केंद्रीय वित्त आयोग और राज्य निधि के संयुक्त योगदान से किया जाएगा। स्वच्छताकर्मियों को केंद्रीय वित्त आयोग से 2500 रुपये और राज्य निधि से 2500 रुपये मिलेंगे। जबकि पर्यवेक्षकों को केंद्रीय वित्त आयोग से 2000 रुपये और राज्य निधि से 7000 रुपये प्रदान किए जाएंगे।
वर्तमान में अंशकालिक स्वच्छताकर्मियों को 1500 से 3000 रुपये और पर्यवेक्षकों को 5000 से 7500 रुपये प्रतिमाह कार्य के आधार पर मिलता है। नई नीति के तहत वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है, जिससे स्वच्छता कर्मियों का मनोबल बढ़ेगा और वे अधिक उत्साह के साथ कार्य करेंगे।
ग्रामीण विकास विभाग ने इस नीति को लागू करने के लिए सभी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। यह कदम ग्रामीण बिहार को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विभाग का मानना है कि इस नीति से न केवल कचरा प्रबंधन में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।









