अब CBSC की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के नियम हुए सख्त

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSC) ने कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए नए और सख्त नियम लागू किए हैं, जो छात्रों और स्कूलों के लिए एक बड़ा बदलाव लाने वाले हैं। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना, छात्रों में अनुशासन और गंभीरता को प्रोत्साहित करना तथा आंतरिक मूल्यांकन प्रक्रिया को और मजबूत करना है।
अब नए नियमों के तहत विषय चयन, उपस्थिति, आंतरिक मूल्यांकन और प्राइवेट उम्मीदवारों की नीति पर विशेष ध्यान दिया गया है। आइए, इन नियमों को विस्तार से समझते हैं।
सीबीएसई ने कक्षा 9-10वीं और कक्षा 11-12वीं को एक एकीकृत दो वर्षीय शैक्षणिक कार्यक्रम के रूप में मान्यता दी है। इसका मतलब है कि इन कक्षाओं में अध्ययनरत छात्रों को अपने चयनित विषयों को लगातार दो वर्षों तक पढ़ना होगा।
बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि इस दौरान छात्रों को स्कूल द्वारा आयोजित आंतरिक मूल्यांकन (जैसे प्रोजेक्ट, प्रैक्टिकल और आंतरिक परीक्षाएं) में हिस्सा लेना अनिवार्य होगा। यदि कोई छात्र इन मूल्यांकनों में विफल रहता है या निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करता, तो उसका बोर्ड परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा।
नए नियमों के अनुसार बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्रों की स्कूल में न्यूनतम 75% उपस्थिति अनिवार्य होगी। यह नियम यह सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है कि छात्र नियमित रूप से कक्षाओं में भाग लें और पाठ्यक्रम को गंभीरता से पूरा करें। वे उपस्थिति रजिस्टर को सख्ती से मेंटेन करें और इसकी जानकारी बोर्ड को समय-समय पर उपलब्ध कराएं।
सीबीएसई ने विषय चयन की प्रक्रिया को भी और सख्त कर दिया है। अब छात्र केवल वही विषय चुन सकते हैं, जिनके लिए स्कूल में योग्य शिक्षक, प्रयोगशाला और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों। कक्षा 10 के छात्र अधिकतम दो अतिरिक्त विषय और कक्षा 12 के छात्र एक अतिरिक्त विषय चुन सकते हैं।हालांकि, इन अतिरिक्त विषयों का अध्ययन भी लगातार दो वर्षों तक करना अनिवार्य होगा।
बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई छात्र किसी अतिरिक्त विषय में कंपार्टमेंट या एसेंशियल रिपीट श्रेणी में आता है तो वह प्राइवेट उम्मीदवार के रूप में पुनः परीक्षा दे सकता है। लेकिन जो छात्र इन नियमों का पालन नहीं करेंगे, उन्हें प्राइवेट उम्मीदवार के रूप में अतिरिक्त विषय चुनने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
प्राइवेट उम्मीदवारों के लिए भी सीबीएसई ने नियमों को और कठोर किया है। अब केवल वही छात्र प्राइवेट उम्मीदवार के रूप में बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे, जो बोर्ड द्वारा निर्धारित सभी शर्तों को पूरा करेंगे।
उदाहरण के लिए प्राइवेट उम्मीदवारों को भी अपने चयनित विषयों में दो वर्षीय पाठ्यक्रम पूरा करना होगा और स्कूल द्वारा प्रमाणित आंतरिक मूल्यांकन में भाग लेना होगा। इसके बिना उनकी परीक्षा मान्य नहीं होगी।
सीबीएसई के इन नए नियमों का उद्देश्य न केवल छात्रों को नियमित और गंभीर अध्ययन के लिए प्रेरित करना है, बल्कि स्कूलों को भी अपनी शिक्षण प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
बोर्ड का मानना है कि इन नियमों से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि छात्रों में समय प्रबंधन, अनुशासन और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित होगी। हालांकि, ये नियम उन छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, जो आर्थिक या अन्य कारणों से नियमित स्कूल उपस्थिति में कठिनाई महसूस करते हैं।
इन नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए स्कूलों पर भी बड़ी जिम्मेदारी डाली गई है। स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके पास सभी चयनित विषयों के लिए पर्याप्त संसाधन और योग्य शिक्षक उपलब्ध हों।
साथ ही स्कूलों को आंतरिक मूल्यांकन प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संचालित करना होगा। बोर्ड ने स्कूलों को चेतावनी दी है कि किसी भी तरह की अनियमितता पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीबीएसई के ये नए नियम शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। हालांकि इन नियमों का प्रभावी कार्यान्वयन और छात्रों व अभिभावकों के बीच जागरूकता बढ़ाना भी उतना ही जरूरी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये नियम दीर्घकाल में शिक्षा प्रणाली और छात्रों के प्रदर्शन पर क्या प्रभाव डालते हैं।









