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बिम्बिसार का रहस्यमय किला: राजगीर वादियों में दफन एक अनसुलझी पहेली

विशेष संवाददाता, राजगीर (नालंदा दर्पण)। बिहार के नालंदा जिले में बसा राजगीर शहर, जो कभी प्राचीन मगध साम्राज्य की शानदार राजधानी ‘राजगृह’ के नाम से जाना जाता था, वह आज भी इतिहास के पन्नों को जीवंत करने वाले अवशेषों से भरा पड़ा है। यहां के घने जंगलों और ऊंचे पहाड़ों के बीच छिपा बिम्बिसार का प्राचीन किला न केवल एक रक्षात्मक संरचना का प्रतीक है, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म के उदय की गवाही भी देता है।Bimbisara Mysterious Fort An Unsolved History Riddle Buried in the Earth of Rajgir 2

हर्यंका वंश के इस महान शासक बिम्बिसार (558-491 ईसा पूर्व) द्वारा निर्मित यह किला, जो आज खंडहरों के रूप में विद्यमान है, पर्यटकों और इतिहासकारों के लिए एक अनसुलझा रहस्य बन चुका है। हाल के वर्षों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए उत्खननों ने इन अवशेषों को नई रोशनी दी है, जो बताते हैं कि यह किला मात्र 2500 वर्ष पुराना नहीं, बल्कि इससे भी प्राचीन हो सकता है।

आइए, इस प्राचीन किले की यात्रा पर चलें और उसके अवशेषों के माध्यम से उस युग की झलक देखें, जब राजगीर ‘राजाओं का शहर’ कहलाता था।

बिम्बिसार: मगध का वास्तुकार और धर्म का संरक्षकः बिम्बिसार जैन ग्रंथों में ‘श्रेणिक’ के नाम से जाना जाता है, मगध के पहले ऐतिहासिक शासक थे। मात्र 15 वर्ष की आयु में सिंहासनारोहण करने वाले इस राजा ने अपनी चतुर नीतियों से मगध को एक शक्तिशाली साम्राज्य बनाया।Bimbisara Mysterious Fort An Unsolved History Riddle Buried in the Earth of Rajgir 4

उन्होंने अंग राज्य को जीतकर गंगा डेल्टा तक व्यापार मार्गों पर कब्जा किया और विवाह गठबंधनों से पड़ोसी राज्यों को अपने पक्ष में किया। लेकिन बिम्बिसार का सबसे बड़ा योगदान राजगीर को राजधानी बनाना था।

चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार उन्होंने ही इस शहर की स्थापना की, जो पांच पहाड़ियों वैभार, विपुल, रत्नागिरि, सोनागिरि और उदयगिरि के घेरे में बसा था। यह शहर मात्र राजनीतिक केंद्र नहीं था, बल्कि आध्यात्मिक केंद्र भी था। बिम्बिसार भगवान बुद्ध और महावीर के प्रमुख अनुयायी थे।

उन्होंने बुद्ध को वेणुवन (बांस का बाग) दान किया, जहां आज भी पर्यटक ध्यान लगाते हैं। जैन परंपरा के अनुसार महावीर ने यहां 14 वर्ष बिताए, और बिम्बिसार ने उन्हें अपनी राजधानी में आश्रय दिया। लेकिन यह वैभवपूर्ण जीवन दुखद अंत की ओर बढ़ा। अपने पुत्र अजातशत्रु के षड्यंत्र में फंसकर बिम्बिसार को कैद कर लिया गया।

बौद्ध कथाओं के अनुसार कैद के दौरान वे चट्टा पहाड़ी से बुद्ध को देखा करते थे, जो उनके अंतिम दिनों की एक मार्मिक कहानी है। यही वह जेल है, जो आज बिम्बिसार के किले के अवशेषों का अभिन्न हिस्सा बनी हुई है।Bimbisara Mysterious Fort An Unsolved History Riddle Buried in the Earth of Rajgir 3

इंजीनियरिंग का चमत्कार और समय की मारः बिम्बिसार का किला वास्तव में एक विशाल किलेबंदी प्रणाली था, जिसका मुख्य हिस्सा ‘साइक्लोपियन दीवारें’ हैं। ये 40 किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवारें राजगीर की पहाड़ियों की चोटियों पर बनी हैं, जो 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व की हैं। इन दीवारों को बनाने में विशाल पत्थरों का उपयोग किया गया, जो इतने बड़े हैं कि प्राचीन कथाओं में इन्हें ‘चक्रवर्ती राजाओं के निर्माण’ कहा जाता है।

एएसआई के अनुसार ये दीवारें न केवल आक्रमणकारियों से रक्षा करती थीं, बल्कि मानसून की बाढ़ से भी शहर को बचाती थीं। दीवारों पर अनियमित अंतराल पर 16 मीनारें बनी हैं, जिनमें से कुछ आज भी खड़ी हैं। वैभार पहाड़ी की पूर्वी ढलान पर स्थित ‘पिप्पला स्टोन हाउस’ इनका प्रमुख अवशेष है। मूल रूप से यह सैनिकों के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में बौद्ध भिक्षुओं के लिए 11 छोटे-छोटे कक्षों में बदल दिया गया। यहां से राजगीर घाटी का मनोरम दृश्य दिखता है, जो प्राचीन काल में राजा के दर्शन स्थल के रूप में प्रयुक्त होता था।

किले का एक और दिलचस्प हिस्सा ‘अजातशत्रु किला’ या ‘नया राजगृह’ है। यह उत्तरी घाटी के बाहर फैला है। लोककथाओं के अनुसार, यह बिम्बिसार या उनके पुत्र द्वारा बनाया गया था। यहां की मिट्टी से बने अवशेषों में 300 से अधिक मिट्टी के बर्तन और कलाकृतियां मिली हैं, जो 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व की हैं। लेकिन सबसे रहस्यमयी हैं ‘सोन भंडार गुफाएं’। ये दो चट्टान-काट गुफाएं सोना पहाड़ी की तलहटी में हैं, जिनकी लंबाई 34 फुट और चौड़ाई 17 फुट है।Bimbisara Mysterious Fort An Unsolved History Riddle Buried in the Earth of Rajgir 1

स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार बिम्बिसार ने अपना खजाना यहां छिपाया था और एक सील बंद दीवार के पीछे सोना अभी भी दबा है। पुरातत्वविदों का मानना है कि ये गुफाएं 4ठी शताब्दी ईस्वी में जैन साधुओं के लिए बनाई गईं, लेकिन इनकी शैली मौर्य काल की बराबर-नागार्जुनी गुफाओं से मिलती है। गुफाओं की दीवारों पर पद्मप्रभु, पार्श्वनाथ और महावीर के चित्र उकेरे हैं। साथ ही संस्कृत-पाली में 3रें-4थी शताब्दी के शिलालेख हैं। यहां एक विष्णु मूर्ति भी मिली है, जो बताती है कि बाद में इनका हिंदूकरण हो गया।

बिम्बिसार का ‘जेल’ भी एक प्रमुख अवशेष है, जो घाटी में स्थित है। यह एक छोटी पत्थर की संरचना है, जहां राजा को कैद रखा गया था। हालांकि, कुछ पुरातत्वविद् इसे पहली मिलेनियम ईस्वी का बौद्ध विहार मानते हैं, लेकिन लोक मान्यताएं इसे बिम्बिसार से जोड़ती हैं। ‘जरासंध का अखाड़ा’ भी यहां का एक और स्थल है, जहां महाभारत के अनुसार भीम और जरासंध के बीच कुश्ती हुई थी।

Bimbisara Mysterious Fort An Unsolved History Riddle Buried in the Earth of Rajgirमहत्व और वर्तमान चुनौतियां: पर्यटन का नया क्षितिजः ये अवशेष राजगीर को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की दौड़ में मजबूत बनाते हैं। बिम्बिसार के किले ने न केवल मगध की सैन्य शक्ति को दर्शाया, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक भी हैं। यहां बौद्ध, जैन और हिंदू परंपराएं एक साथ फली-फूलीं। हाल के उत्खननों में 5वीं-9वीं शताब्दी की मूर्तियां और बौद्ध अवशेष मिले हैं, जो नालंदा विश्वविद्यालय से जुड़े हैं। 2013 में खोला गया राजगीर हेरिटेज म्यूजियम इन कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है।

आज राजगीर पर्यटन का केंद्र बन रहा है। नई रोपवे, ग्लास ब्रिज और राजगीर इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम जैसे प्रोजेक्ट्स यहां की पहुंच आसान बना रहे हैं। लेकिन चुनौतियां भी हैं। अवैध खनन और रखरखाव की कमी से ये अवशेष खतरे में हैं। एएसआई ने 2024 में नई खुदाई शुरू की है, जो और गहराई खोल सकती है।

बिम्बिसार का किला हमें सिखाता है कि इतिहास पत्थरों में नहीं, बल्कि उन कहानियों में जीवित है जो वे सुनाते हैं। यदि आप इतिहास के शौकीन हैं तो राजगीर आइए, यहां पहाड़ियां गाती हैं प्राचीन राजाओं की गाथाएं।

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