यह सोन भंडार गुफा को मगध के महान राजा बिंबिसार का खजाना रखने का स्थान माना जाता है। इस गुफा के भीतर बेशुमार सोने और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं छिपी हैं।

गुफा की दीवारों पर ब्राह्मी लिपि में लिखी गई एक पहेली है। इसे हल करने पर खजाने का द्वार खुल सकता है। लेकिन अब तक कोई भी इसे हल नहीं कर पाया है। 

मौर्य काल और गुप्त काल की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण यह गुफा पत्थरों से बनी सदियों पुरानी है और इसे उस समय की तकनीकी कौशल का प्रतीक माना जाता है। 

सोन भंडार का संबंध बौद्ध और जैन धर्म से भी जोड़ा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह स्थल उस समय के तपस्वियों और धार्मिक नेताओं के ध्यान और साधना का केंद्र था। 

लोककथाओं के अनुसार इस गुफा में खजाने की रक्षा के लिए अज्ञात शक्तियों का इस्तेमाल किया गया है, जो किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को खजाने के करीब नहीं जाने देतीं। 

सोन भंडार में दो मुख्य गुफाएं हैं- एक को खजाना रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। और दूसरी गुफा को सैनिकों या संरक्षकों के लिए आवास के रूप में माना जाता है। 

वर्तमान में सोन भंडार गुफा एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहाँ हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। इसकी रहस्यमयी कहानियाँ इसे और भी आकर्षक बनाती हैं। 

सोन भंडार गुफा को ब्रिटिश सेना द्वारा खोलने की कई कोशिशें की गईं। उन्होंने तोप से इसे खोलने का प्रयास किया, लेकिन गुफा का द्वार आज भी अटूट है।

इन तथ्यों के आधार पर सोन भंडार गुफा न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि इसे भारत के अनसुलझे रहस्यों में से एक माना जाता है।