बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव केके पाठक के कार्यकाल में जिले के विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर मची लूट की एक जांच होगी। निश्चित तौर पर जांच पूरी होते-होते विभाग के कई अधिकारी, कई स्कूलों के प्रधानाध्यापक और आपूर्तिकर्ता सलाखों के पीछे हो सकते है।
शिक्षा विभाग के नये अपर मुख्य सचिव ने सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधा बहाल करने के लिए जो राशि खर्च की गयी है, उसका कितना सदुपयोग हुआ है, इसकी जांच का जिम्मा संबंधित जिला के जिलाधिकारी को दिया है।
अब जिला प्रशासन के अधिकारी वैसे स्कूलों का दौरा करेंगे, जहां बेंच-डेस्क से लेकर अस्थायी क्लास रूम का निर्माण हुआ है। वहां पर बेंच-डेस्क के साथ हीं निर्माण कार्य के गुणवत्ता की भी जांच होगी।
मंत्री और एसीएस ने 07 जून को की थी बैठकः बता दें कि विगत 7 जून को शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ सरकारी स्कूलों में चल रही योजनाओं की समीक्षा की थी और इस मामले में जांच का निर्देश दिया था। वजह यह रही कि राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों से बेंच-डेस्क की जांच पर सवाल उठने का मामला सामने आ रहा था।
इस मामले में अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने स्पष्ट कहा है कि जब पूर्व में ही बेंच-डेस्क, फर्नीचर, समरसेबुल मोटर, अस्थायी वर्गकक्ष की आपूर्ति या निर्माण में जांच सख्ती से हुई तो गुणवत्तापूर्ण सामग्री नहीं दिये जाने और अनियमितता की शिकायत मुख्यालय को मिल रही है। इन सभी की पुनः सख्ती से जांच होनी चाहिए।
नालंदा में 49 हजार बेंच-डेस्क की हुई आपूर्ति: नालंदा जिले के विभिन्न सरकारी विद्यालयों में लगभग 49 हजार बेंच-डेस्क की आपूर्ति कराई गयी है जिनमें से कई स्कूलों में फटे हुए लकड़ी के बेंच-डेस्क आपूर्ति किये जाने, घटिया किस्म की लकड़ी पर बेंच-डेस्क बनाने, नये डेस्क के अभी से हीं टूटने तथा कई विद्यालयों में समरसेबुल फेज होने की शिकायतें मिलनी लगी थी।
ऐसी ही शिकायतें कई विद्यालयों द्वारा उठाया गया था। हालांकि चर्चा यह भी है कि शिकायत के जांच के निर्देश मिलते हीं आपूर्तिकर्ता एवं विभाग के अधिकारी के साथ हीं स्कूल के प्रधानाध्यापकों में हड़कंप व्याप्त है।
कई विद्यालयों में तो टूटे और खराब पड़े बेंच-डेस्क तो बदले भी जा चुकी है। विडंबना तो यह रही कि केके पाठक शिक्षकों को सुधारने में लगे रहे और उनके अधिकारी इसके आड़ में लूट मचाये हुए थे।
समरसेबुल मोटर से लेकर प्रीफेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर निर्माण में भी गोलमालः आपूर्ति की गयी बेंच डेस्क एवं सामग्रियों की जांच अभियंताओं से कराने के बजाय बीपीएम एवं बीआरओ को सौंपी थी।
बाद में बीईओ से बेंचड डेस्क के गुणवत्ता की जांच कराई गयी। जांच में मिली भिन्नता तो कार्रवाई होनी तय है। कई स्कूलों में तो बेंड डेस्क को पेंट करने के बजाय होली में उपयोग करने वाले रंगों से रंगे जाने की शिकायत भी मिली थी।
इतना हीं नहीं प्रीफेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर से किये गये कक्षा निर्माण में भी भारी अनियमितता की शिकायत मिली है। बगैर गुणवत्ता वाले स्ट्रक्चर का उपयोग कर वर्गकक्ष बनाया गया है।
मंत्री के तल्ख तेवर और नये अपर मुख्य सचिव की सख्ती के बाद शिक्षा विभाग के जिलास्तरीय पदाधिकारी से लेकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रधानाध्यापक, बिचौलिया और आपूर्तिककर्ता के बीच हड़कंप व्याप्त है।
बगैर निविदा की हुई है पूरी क्रय प्रक्रियाः इस जिले में करोड़ों रुपये की बेंच-डेस्क और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कोई निविदा नहीं की गयी। शिक्षा विभाग के राज्य मुख्यालय से आपूर्तिकर्ता की स्वीकृत सूची दी गयी और इसी सूची के आपूर्ति कर्ता से सामग्री लेने का निर्देश अपर मुख्य सचिव का था।
इस आदेश की आड़ में जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी भ्रष्टाचार की बहती गंगा में अपना हाथ धोया। जांच हुई तो शिक्षा विभाग के प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारी का फंसना तय है।
शिकायत पर डीएम ने पहले हीं बनाई है छः सदस्यीय कमेटी: पहले हीं ऐसी शिकायतें जिलाधिकारी को मिली थी और यह शिकायत थी कि नागपुर की एक कंपनी इन्डमेंट प्रेस मेटल प्राइवेट लिमिटेड विद्यालयों में बेच-डेस्क की की गयी आपूर्ति के विरुद्ध बकाया राशि के भुगतान के लिए डीपीओ स्थापना सुजीत कुमार राउत के पास किया था। जिसमें कंपनी के प्रोपराइटर से 35 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगाया गया था।
इसके अलावे कर्द गंभीर आरोप लगाते हुए ज्ञापन जिला पदाधिकारी को दिया गया था। इस आलोक में डीएम ने छः सदस्यीय जांच दल का गठन किया था जिसके अध्यक्ष उप विकास आयुक्त बनाये गये है।
जांच के क्रम में बिहारशरीफ के एलआरडीसी, साइबर सेल के डीएसपी, बिहारशरीफ के अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी रंजीत कुमार, जिला सामाजिक सुरक्षा, नालंदा के सहाय निदेशक तथाभवन भवन प्रमंडल नालदां के कार्यपालक अभियंता को शामिल किया गया था।
बहरहाल, सूत्रों के हवाले से सूचना है कि इस आलोक में जांच चल रही है। जिला पदाधिकारी नालंदा में मामले की गंभीरताको देखते हुए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को जिले में बेंच डेस्क की आपूर्ति में की गयी अनियमितता की जांच के लिए भी लिखा है।
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