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दंडनीय अपराध है सार्वजनिक स्थलों पर मिले और अस्पतालों से बच्चा गोद लेना

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बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर द्वारा जिला बाल संरक्षण इकाई के तत्वावधान में नालंदा कॉलेजिएट स्कूल के सामने अवस्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान, बाल कल्याण समिति व चाइल्ड हेल्पलाइन का उद्घाटन फीता काटकर किया गया।

इस अवसर पर ‘मुझे झाड़ियां में मत फेंको, पालने में डाल दो’ जैसे स्लोगन से समाज कल्याण के तहत आम लोगों को प्रेरित किया गया। लोगों को जानकारी दी गई कि सार्वजनिक जगहों पर छोड़े गए अथवा अस्पताल आदि से बच्चा गोद लेने से बचें, यह विधि विरुद्ध एवं दंडनीय अपराध है।

अगर आप भी बच्चा गोद लेना चाहते हैं, तो जरूरी है कि गोद लेने से पहले इसके नियम और शर्तों को जान लिया जाए ताकि बच्चा गोद लेते समय आपको दिक्कतों का सामना न करना पड़े। बच्चे के गोद लेने के लिए कुछ जरूरी नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

इसके लिए स्थिर वैवाहिक संबंध के काम से कम दो वर्ष पूरे होने चाहिए, बालक और भावी दत्तक माता-पिता में से प्रत्येक की आयु में न्यूनतम अंतर 25 वर्ष से कम न हो, दंपति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति ठीक हो एवं कोई संक्रामक या गंभीर रोग न हो और उन पर कोई अपराध का आरोप न लगा हो।

अगर कोई कपल्स बच्चे को गोद लेना चाहता है, तो इस फैसले में दोनों की सहमति आवश्यक है। अविवाहित या अकेले पुरुष बालिका को गोद नहीं ले सकते हैं। गैर कानूनी रूप से गोद लेना और देना दोनों कानूनी अपराध है।

गोद लेने वाले परिवार को रेसिडेंट सर्टिफिकेट देना आवश्यक है। इसके लिए आप आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पासपोर्ट, बिजली का बिल या टेलिफोन का बिल भी दे सकते हैं। गोद लेने वाले शख्स की पिछले साल की इनकम टैक्स की ऑथेंटिक कॉपी देना भी जरूरी है।

इसके लिए उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करना बेहद जरूरी है। गोद लेने वाला शख्स शादीशुदा है, तो शादी का प्रमाण पत्र, अगर तलाकशुदा है तो उसका प्रमाण पत्र देना आवश्यक है। अगर पति या पत्नी की मृत्यु हो गई है, तो इसके लिए उनका मृत्यु प्रमाणपत्र देना भी जरूरी है। अगर आप अविवाहित हैं तो आपके रिश्तेदारों को एक अंडरटेकिंग देनी होगी। गोद लेने वाले फैमिली में पहले से बड़े बच्चे हैं, तो उनकी सहमति भी जरूरी है।

अनाथ, नवजात, परिपक्व, गुमशुदा व लावारिस परिवारों से अलग हुआ बच्चा प्राप्त होने पर 24 घंटे के अंदर बाल कल्याण समिति, चाइल्ड हेल्पलाइन (1098), जिला बाल संरक्षण इकाई को अविलंब सूचना दें। सूचना नहीं देने पर 6 माह का कारावास, 1000 का जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है।

इस अवसर पर अपर समाहर्ता, अनुमंडल पदाधिकारी, संयुक्त निदेशक सामाजिक सुरक्षा कोषांग, प्रखंड विकास पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।

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