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नालंदा जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी

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Arbitrariness of doctors and health workers in government hospitals of Nalanda district

नालंदा दर्पण डेस्क। नालंदा जिले के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं है। चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की अनुपस्थिति के अलावा कई अन्य समस्याएं भी मरीजों के समक्ष आती हैं। सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों के बावजूद चिकित्सकों की कमी, संपूर्ण अव्यवस्थाओं और उचित निगरानी के अभाव में मरीजों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

अस्पतालों में रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों की योग्यताएँ और उपलब्धता इस दर से नहीं बढ़ रही हैं। कई मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। इससे केवल समय की बर्बादी नहीं होती, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ भी उत्पन्न हो जाती हैं। आवश्यक चिकित्सा सेवाओं का सुचारु ढंग से न प्रदान होना आम बात बन चुकी है, जिससे मरीजों और उनके परिवारों को कष्ट का सामना करना पड़ता है।

अस्पतालों की अव्यवस्था भी एक बड़ी समस्या है। सफाई की कमी, उपकरणों की अनुपलब्धता और अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या से अस्पतालों का माहौल परेशान करने वाला हो गया है। स्वास्थ्य सेवा का मूल उद्देश्य मरीजों को सही चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाना है, लेकिन मौजूदा स्थिति में यह न केवल मरीजों की उम्मीदों को तोड़ती है, बल्कि उनकी सेहत के लिए भी खतरा पैदा करती है।

हालात की गंभीरता को देखते हुए आवश्यक है कि निर्देशानुसार व्यवस्था को सुधारने हेतु उचित कदम उठाए जाएं। सही तरीके से काम करने वाले चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों का तैनात होना जरूरी है ताकि सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावी और मरीजों के लिए उपयोगी बन सकें। योजनाओं और नीतियों का सही क्रियान्वयन ही मौजूदा स्थिति में सुधार ला सकता है।

सिविल सर्जन के निरीक्षण की रिपोर्टः नालंदा जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की गतिविधियों का अवलोकन करने के लिए नालंदा सिविल सर्जन ने हाल ही में निरीक्षण अभियान चलाया। इस निरीक्षण के दौरान विभिन्न अस्पतालों में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की अनुपस्थिति की स्थिति का बारीकी से मूल्यांकन किया गया। रिपोर्ट के अनुसार कई स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की संख्या अपेक्षा से कम पाई गई।

खबर है कि सिविल सर्जन के निरीक्षण के दौरान बिंद, अमावां और नूरसराय सरकारी अस्पताल में 9 चिकित्सक सहित 16 स्वास्थ्यकर्मी को गायब पाए गए, जिन सबों से उन्होंने स्पष्टीकरण मांगा की है और उन्हें आदतों में सुधार करने की चेतावनी दी है तथा कहा है कि आदत से बाज आये अन्यथा कार्रवाई की जायेगी। रोगियों के इलाज में किसी तरह की लापरवाही और ड्यूडी से गायब रहना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बकौल सिविल सर्जन बिंद अस्पताल में तीन डाक्टर समेत चार कर्मी अनुपस्थित मिले। जबकि दो कर्मी स्वास्थ्य प्रबंधक विपीन कुमार और प्रखंड अनुश्रवण एवं मुल्यांकन सहायक कुमार रूपेश अवकाश पर थे। बिना सूचना के डॉ. कुमार गौरव और डॉ. तुलसी पासवान मंगलवार से गायब मिले। वहीं डॉ. चंदन कुमार बुधवार से गायब हैं। एएनएम जूली कुमारी तो चार सितंबर से ही बिना सूचना के गायब हैं।

इसके आलावे नूरसराय अस्पताल में डॉ. संदीप कुमार सिन्हा, डॉ. रौशन कुमार, डॉ. सुधांशु कुमार, डॉ. विजय कुमार सिंह, एएनएम बबीता कुमारी, मंजु कुमारी, एसटीएस किरण कुमारी, यक्ष्मा सेवक सूर्यमौली सिंह, अमावां अस्पताल में डॉ. सागर राय, डॉ. यशवंत कुमार, एएनएम पिंकी कुमारी, कुमारी विनीता सिन्हा, बिंद अस्पताल में डॉ. कुमार गौरव, डॉ. तुलसी पासवान भी गायब पाए गए।

सिविल सर्जन के निरीक्षण में यह भी दर्शाया है कि चिकित्सकों की अनुपस्थिति ने प्रभावी सेवाओं की कमी के साथ-साथ मरीजों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मरीजों की अपेक्षाएँ और जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में कमी आती है। इस मनमानी के कारण न केवल चिकित्सा सेवाओं में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, बल्कि यह सरकारी नियमों और कार्यप्रणाली का उल्लंघन भी है।

इस निरीक्षण ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए एक स्पष्ट संकेत प्रस्तुत किया है कि वास्तविकता की जाँच और कार्यवाही की आवश्यकता है, ताकि मरीजों को उचित देखभाल और सेवाएँ मिल सकें।

स्वास्थ्य कर्मियों की जिम्मेदारी और सुधार की आवश्यकताः स्वास्थ्य कर्मियों की प्राथमिक जिम्मेदारी नागरिकों को उचित और समय पर चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करना है। नालंदा जिले के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही और मनमानी ने मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल दिया है। इन कर्मियों की अनियमितता, जैसे समय पर ड्यूटी में उपस्थित न होना, आवश्यक दवाओं का अभाव और चिकित्सा देखभाल में कमी- इस क्षेत्र में की जाने वाली स्वास्थ्य कार्यवाही की गुणवत्ता को कमजोर कर रही है।

स्वास्थ्य सेवाएँ सामान्य जन की प्राथमिक्ताओं में शामिल हैं और इनकी गुणवत्ता में कोई भी चूक मरीजों की चिकित्सा में विघ्न डाल सकती है। अस्पतालों में अक्सर मरीजों को प्राथमिक उपचार के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ता है, जो कि स्वास्थ्य कर्मियों की अव्यवस्थितता का प्रत्यक्ष संकेत है। इसके परिणामस्वरूप न केवल मरीजों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। इससे जनमानस में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास कम होता जा रहा है, जो कि चिंताजनक है।

इन स्थिति सुधार करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों की कार्यशैली को नियमित रूप से मॉनिटर करने की आवश्यकता है। उचित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन और कर्मियों के लिए उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसके अलावा मरीजों की प्राथमिकताओं और उनकी समस्या का समाधान तुरंत किया जाए, ताकि उनके स्वास्थ्य को सबसे पहले प्राथमिकता दी जा सके। एक स्वस्थ और प्रभावी स्वास्थ्य प्रणाली की स्थापना के लिए यह आवश्यक है कि स्वास्थ्य कर्मियों को उनकी जिम्मेदारियों का सही ढंग से पालन करते हुए कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाए।

भविष्य में सुधार की दिशाः नालंदा जिले के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी को नियंत्रित करने और स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए अनेक आवश्यक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इनमें प्रशासनिक कार्रवाई, जन जागरूकता और समुदाय की भागीदारी विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। सबसे पहले प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि अस्पतालों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की जवाबदेही तय की जाए। इसके लिए नियमित निरीक्षण और प्रदर्शन मूल्यांकन आवश्यक हैं, ताकि अनियमितताओं को तुरंत नियंत्रित किया जा सके।

इसके साथ ही जन जागरूकता अभियानों का आयोजन भी अत्यंत आवश्यक है। लोग जब यह समझेंगे कि उनके स्वास्थ्य अधिकार क्या हैं और उन्हें किस प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध हैं, तब वे अपनी आवाज उठाने में अधिक सक्षम होंगे। इस संदर्भ में स्थानीय गैर-सरकारी संगठनों और समुदाय आधारित संगठनों को शामिल किया जा सकता है। इन संगठनों की सहायता से स्वास्थ्य शिक्षा का प्रसार किया जा सकता है, जिससे समाज में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी।

समुदाय की भागीदारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण पहल है। यदि स्थानीय लोगों को विभिन्न स्वास्थ्य पहलों में शामिल किया जाए, तो इससे न केवल सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि रोगियों की संतुष्टि भी बढ़ेगी। इससे चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को भी यह प्रोत्साहन मिलेगा कि वे अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए कार्य करें।

इस प्रकार यदि प्रशासनिक कार्रवाई, जन जागरूकता और समुदाय की सहभागिता के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के प्रयास किए जाएँ, तो नालंदा जिले के सरकारी अस्पतालों की स्थिति में निश्चित रूप से बदलाव आएगा।

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