एकंगरसराय CHC में महज ₹250 के लिए ENT डॉक्टर ने किया प्रसूता का बंध्याकरण, गलत नस काटा

हिलसा (नालंदा दर्पण संवाददाता)। एकंगरसराय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में उस समय हड़कंप मच गया जब एक ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर ने प्रसव के छह दिन बाद एक गरीब महिला का बंध्याकरण ऑपरेशन करते समय गलत नस काट दी। ऑपरेशन के बाद महिला की हालत इतनी बिगड़ गई कि उसकी सांसें तक रुकने की नौबत आ गई। परिजनों ने आनन-फानन में उसे पटना के निजी अस्पताल ले जाया, जहाँ चिकित्सकों ने बताया कि यदि थोड़ी और देर होती तो महिला की जान नहीं बचाई जा सकती थी।

घटना 17 नवंबर की है। औंगारी थाना क्षेत्र के रहमत बिगहा गांव निवासी शशिकांत चौधरी की 26 वर्षीया पत्नी बेबी देवी ने 11 नवंबर को एकंगरसराय सीएचसी में ही अपने चौथे बच्चे को जन्म दिया था। प्रसव के बाद परिवार ने सरकारी योजना के तहत बंध्याकरण कराने का फैसला किया, क्योंकि गरीबी के चलते वे निजी अस्पताल का खर्च नहीं उठा सकते थे।

परिजनों का आरोप है कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सह ईएनटी डॉक्टर स्नेहलता वर्मा ने महज 250 रुपए (जो सरकारी योजना में डॉक्टर को मिलने वाला प्रोत्साहन राशि है) के लालच में बंध्याकरण का ऑपरेशन किया। लेकिन ऑपरेशन के दौरान उन्होंने गलत नस काट दी। ऑपरेशन खत्म होते ही बेबी देवी को पेट में असहनीय दर्द, कमजोरी, चक्कर और बार-बार बेहोशी आने लगी। परिजनों ने जब डॉक्टर से शिकायत की तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया और मरीज को नर्स के भरोसे छोड़कर पटना चली गईं।

परेशान परिजनों ने तुरंत बेबी देवी को पटना के एक बड़े निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहाँ के चिकित्सकों ने जांच के बाद बताया कि बंध्याकरण के दौरान गलत नस काट दी गई थी, जिससे आंतरिक रक्तस्राव शुरू हो गया था। समय पर इलाज न मिलता तो महिला की मौत तय थी। अभी भी उसकी हालत गंभीर बनी हुई है और इलाज में अब तक लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। मजबूर शशिकांत चौधरी को कर्ज लेना पड़ रहा है।

परिजनों का कहना है कि हम गरीब हैं, इसलिए सरकारी अस्पताल पर भरोसा किया। बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर ने खुद बंध्याकरण का ऑफर दिया। हमने सोचा सरकार मुफ्त में करा रही है तो अच्छा रहेगा। लेकिन 250 रुपए के लालच में डॉक्टर ने हमारी पत्नी की जान से खिलवाड़ कर दिया। अब हम कर्ज में डूब गए हैं।

वहीं आरोपी डॉ. स्नेहलता वर्मा ने अपना बचाव करते हुए कहा है कि ऑपरेशन पूरी तरह सही तरीके से किया गया था। उन्होंने दावा किया कि ऑपरेशन के बाद मरीज को खिचड़ी खिलाई गई थी और वह हजम भी हो गई थी, इसलिए कोई लापरवाही नहीं हुई। हालांकि घटना के बाद से डॉ. वर्मा शनिवार से ही सीएचसी से गायब हैं। न तो उन्होंने छुट्टी का आवेदन दिया और न ही कोई सूचना। स्थानीय लोग उन्हें फरार बता रहे हैं।

जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) श्याम कुमार निर्मल ने बताया कि उन्हें यह जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली है। उन्होंने इसे बेहद गंभीर मामला बताया और कहा कि जांच कराई जाएगी। यदि आरोप सिद्ध हुए तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इधर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि एकंगरसराय सीएचसी में लंबे समय से डॉक्टरों की मनमानी चल रही है। गरीब मरीजों को लापरवाही का शिकार बनाया जाता है। इस मामले ने सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।

पीड़ित परिवार ने हिलसा अनुमंडल पदाधिकारी और नालंदा जिलाधिकारी से तत्काल संज्ञान लेकर आरोपी डॉक्टर पर कार्रवाई करने और परिवार को उचित मुआवजा दिलाने की गुहार लगाई है। फिलहाल डॉ. स्नेहलता वर्मा फरार हैं और बेबी देवी की जान बचाने की जंग पटना के निजी अस्पताल में जारी है।

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