Home खोज-खबर बिहार शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, ACS सिद्धार्थ पर उठे सवाल

बिहार शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, ACS सिद्धार्थ पर उठे सवाल

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Corruption prevails in Bihar education department, questions raised on ACS Siddharth
Corruption prevails in Bihar education department, questions raised on ACS Siddharth

बिहार शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार केवल प्रशासनिक कमजोरी नहीं है, बल्कि यह शिक्षा के मूलभूत ढांचे की जड़ तक पहुंच गया है। यदि इस पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाली पीढ़ी पर इसका भयावह प्रभाव पड़ना तय है…

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का दंश गहराता जा रहा है। विभाग के शीर्ष अधिकारी, एसीएस (अपर मुख्य सचिव) सिद्धार्थ इन गड़बड़ियों पर लगाम लगाने में विफल दिखाई दे रहे हैं। शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी तक भ्रष्टाचार के जाल में फंसे हुए हैं।

शिक्षा विभाग ने 22 जनवरी को भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए टोल-फ्री नंबर जारी किया था। पहले ही दिन विभाग को 21 शिकायतें मिलीं। ये शिकायतें बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स सेंटर) पर जबरन पैसे मांगने, स्कूल फंड घोटाले और स्कूल की जमीन पर कब्जे जैसे गंभीर मामलों से संबंधित थीं।

छात्रों ने भी हेडमास्टर और शिक्षकों पर एडमिट कार्ड जारी करने, प्रैक्टिकल में नंबर देने और मिड-डे मील के घोटाले के आरोप लगाए हैं। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की प्रैक्टिकल परीक्षाओं में सबसे अधिक गड़बड़ियां सामने आई हैं।

छात्रों से नंबर दिलाने के नाम पर 150 से 1500 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। जो छात्र पैसे नहीं देते, उन्हें फेल करने की धमकी दी जा रही है। बिहार बोर्ड की परीक्षा एक फरवरी से इंटरमीडिएट और सतरह फरवरी से हाईस्कूल के लिए शुरू हो रही है। ऐसे में छात्रों और अभिभावकों में भय का माहौल बना हुआ है।

छात्रों ने शिकायत की कि मिड-डे मील के राशन में बड़े पैमाने पर घोटाला हो रहा है। नामांकन संख्या के आधार पर राशन उठाव किया जा रहा है, जबकि छात्रों की वास्तविक उपस्थिति कम है। भोजन सामग्री अधिक दिखाई जा रही है और इसका दुरुपयोग हो रहा है।

शिक्षकों ने भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। बीआरसी और बीईओ कार्यालयों में हर छोटे से छोटे काम के लिए रिश्वत मांगी जाती है। जो शिक्षक पैसे नहीं देते, उनकी फाइलों में जानबूझकर गलतियां निकाली जाती हैं या फाइलें लटकाई जाती हैं।

विभाग द्वारा भ्रष्टाचार रोकने के प्रयासों के बावजूद शिकायतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एसीएस सिद्धार्थ और अन्य अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के मामलों में सख्ती दिखाने का दबाव बढ़ रहा है।

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