Home तकनीक डिजिटल अरेस्ट कर साइबर फ्रॉड, रेलवे कर्मचारी से यूं ठगे 3.20 लाख

डिजिटल अरेस्ट कर साइबर फ्रॉड, रेलवे कर्मचारी से यूं ठगे 3.20 लाख

Cyber ​​fraud by digital arrest, 3.20 lakhs defrauded from railway employee

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के नालंदा जिले में साइबर ठगी का एक नया मामला सामने आया है। हरनौत थाना अंतर्गत रेल कारखाना क्वार्टर निवासी विकास कुमार को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर साइबर अपराधियों ने 3.20 लाख रुपये की ठगी का शिकार बना लिया। विकास कुमार सवारी डिब्बा मरम्मत कारखाने के एचआर शॉप में हेल्पर के रूप में कार्यरत है।

हरनौत थाना में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार 31 जनवरी को विकास कुमार के मोबाइल पर एक व्हाट्सएप कॉल आया। जिसमें खुद को दिल्ली साइबर क्राइम और सीबीआई अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने दावा किया कि उनके बैंक खाते में साइबर अपराध का पैसा जमा हुआ है और इसका केस दिल्ली में चल रहा है।

ठगों ने विकास को डराने के लिए कहा कि वे मोबाइल ऑन रखें और सीबीआई की निगरानी में रहें। इसके बाद, उन्हें झांसा देकर कथित क्लीयरेंस दिलवाने और कोर्ट में जमानत राशि जमा करने के नाम पर 60000 रुपये एक अन्य खाते में ट्रांसफर करने को कहा गया।

तीन दिनों तक चली इस ठगी में 1 फरवरी को यूपीआई आईडी के जरिए पेटीएम से 1 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए। 2 फरवरी को गूगल पे से 60000 रुपये और ट्रांसफर कराए गए। इसके बाद ठगों ने 5 लाख रुपये सिक्योरिटी जमा करने के लिए कहा। जिससे पीड़ित को शक हुआ और उन्हें ठगी का अहसास हुआ।

उसके बाद भी फ्रॉड गैंग ने पीड़ित को धमकी दी कि अगर वे व्हाट्सएप या वीडियो कॉल से हटे तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी। इस डर से विकास लगातार ठगों के संपर्क में बने रहे और किसी से बात तक नहीं कर सके।

पीड़ित विकास कुमार भोजपुर जिले के जगदीशपुर थाना क्षेत्र के गणपत टोला निवासी जगलाल चौधरी के पुत्र हैं। हरनौत थाना प्रभारी के अनुसार संबंधित मोबाइल नंबर और यूपीआई आईडी के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है और पुलिस अग्रिम कार्रवाई में जुटी हुई है।

इस घटना से साफ है कि साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं। पुलिस ने आम जनता को सतर्क रहने और किसी भी अनजान कॉल, खासकर डिजिटल अरेस्ट जैसी धमकियों से सावधान रहने की सलाह दी है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

error: Content is protected !!
Exit mobile version