“राजगीर के महत्वपूर्ण गर्म जल कुंडों के इर्द गिर्द के भवनों और उद्यानों के करीब आधे दर्जन बोरिंग से गर्म पानी निकल रहा है। वैसे बोरिंग को तत्काल प्रभाव से बंद करने की जरूरत है…
राजगीर (नालंदा दर्पण)। देश और दुनिया में 22 कुंडों के लिए मशहूर अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर के अधिकांश कुंडों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। करीब आधे दर्जन कुंडों का अस्तित्व जमींदोज हो गया है। वहीं आधे दर्जन से अधिक कुंड सूख गये हैं।
गोदावरी, अग्नि धारा, दुखहरणी, शालीग्राम कुंड, स्कूल के पास का कुंड आदि जमींदोज हो गये हैं। इसी प्रकार गंगा-यमुना कुंड, अनंत कुंड, व्यास कुंड, सरस्वती कुंड, गौरी कुंड राम-लक्ष्मण कुंड, अहिल्या कुंड, भरत कुंड (भरत कूप) आदि लंबे अर्से से सूखे पड़े हैं।
प्रमुख ब्रह्मकुंड के जलस्तर में भी गिरावट आई है, जो बहुत चिंता का विषय है। इन कुंडों के अस्तित्व को बचाने के लिए शासन, प्रशासन और समाज किसी भी स्तर से ठोस पहल अब तक नहीं की गयी है। सभी स्तर से केवल औपचारिकता पूरी की जा रही है।
यहां के कुछ ढपोरशंखी समाजसेवी सीएम और डीएम को ज्ञापन सौंपा कर अपना दायित्व पूरा कर रहे हैं। उसी तरह जिला प्रशासन द्वारा खुद या किसी पदाधिकारी से मामले की जांच करा कर महज कोरम पूरा किया जाता रहा है।
बता दें कि आदि अनादि काल से अध्यात्मिक शहर राजगीर गर्मजल के कुंडों और झरनों के लिए विश्व विख्यात है। यहां के कुंडों और झरनों का पानी प्राकृतिक है। लेकिन अब उनके अस्तित्व पर खतरे के बादल दिन पर दिन गहराते जा रहे हैं।
इसके बावजूद सरकार, प्रशासन और समाज राजगीर के राम-लक्ष्मण कुंड का हाल इसके प्रति उतनी गंभीर नहीं है, जितनी होनी चाहिये। हर स्तर पर महज औपचारिकता निभायी जा रही है।
ब्रह्मकुंड क्षेत्र के कुंडों का वाटर कनेक्शन वैभारगिरी पहाड़ी पर बने भेलवाडोभ जलाशय से है। वह जलाशय करीब एक दशक से जल विहीन है। गाद से भरने के कारण वह जलाशय उथला हो गया है। फलस्वरूप वर्षा ऋतु में भी भेलवाडोभ जलाशय नहीं भरता है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग उस जलाशय का मनरेगा से उड़ाही करा कर खुदाई की औपचारिकता वैसे ही करती है, जैसे पंचायत द्वारा ग्रामीण पइनों की होती है। मनरेगा से उड़ाही करा कर वन विभाग और जिला प्रशासन दोनों खुश हैं। लेकिन फायदे शून्य से अधिक नहीं हो रहे हैं।
यहां की जीवन रेखा कहलाने वाली सरस्वती नदी को साजिश के तहत सरस्वती कुंड बना दिया गया है। इस कुंड को अपना प्राकृतिक जलस्रोत नहीं है। इसलिए निर्माण के एक सप्ताह बाद से ही यह बेकार बन गया है।
इस कुंड के निर्माण पर खर्च किये गए करोड़ों रुपये बेकार साबित हो गए हैं। जबकि निर्माण के एक सप्ताह बाद ही सरस्वती कुंड नरक बन गया है। तब से यह कुंड गंदगी से बजबजा रही है।
उल्लेखनीय है कि गर्मजल के कुंड राजगीर के धरोहर हैं। इसके अस्तित्व की रक्षा के लिए शासन, प्रशासन से समाज के हर तबके को आगे आने की आवश्यकता है। कुंड क्षेत्र के एक किलोमीटर दायरे के डीप लेवल बोरिंग बंद करने के लिए जिला प्रशासन को सख्त निर्णय लेने की आवश्यकता है।
कहते हैं कि राजगीर के महत्वपूर्ण गर्म जल कुंडों के इर्द गिर्द के भवनों और उद्यानों के करीब आधे दर्जन बोरिंग से गर्म पानी निकल रहा है। वैसे बोरिंग को तत्काल प्रभाव से बंद करने की जरूरत है।
वहीं राजगीर के हर घर और होटलों में रेगुलर गंगाजल की आपूर्ति होती है। होटल संचालकों द्वारा गंगाजल संग्रह करने के लिए संप का निर्माण कराया गया है। ऐसी परिस्थितियों में कुंड क्षेत्र के होटलों, रेस्टोरेंट और उद्यानों के डीप लेवल बोरिंग पर बैन लगाने पर जिला प्रशासन को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
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