बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। प्रशासनिक अनुशासन और पारदर्शिता को बनाए रखने के उद्देश्य से नालंदा जिला पदाधिकारी-सह-जिला दंडाधिकारी शशांक शुभंकर ने एक बड़ा निर्णय लिया है। निगरानी समिति नालंदा की जाँच रिपोर्ट एवं विभागीय कार्यवाही के आधार पर जिला सामान्य शाखा के निलंबित निम्नवर्गीय लिपिक पंकज कुमार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की गई है। बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली- 2005 के नियम-14 (IX) के तहत पंकज कुमार को आदेश निर्गत तिथि से अनिवार्य सेवा निवृत्ति का दंड दिया गया है।
दरअसल लिपिक पंकज कुमार पर चौकीदार पद पर नियुक्ति दिलाने के नाम पर परिवादी से अवैध राशि लेने का आरोप सिद्ध हुआ है। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने अपने कान के ऑपरेशन का बहाना बनाकर परिवादी से कर्ज लिया था। परंतु निर्धारित समय पर राशि वापस नहीं की। जाँच रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि आरोपी की मंशा वास्तविक चिकित्सा सहायता प्राप्त करने की नहीं थी, बल्कि धन का अनुचित लाभ उठाने की थी।
प्रशासन ने इसे एक गंभीर मामला मानते हुए और सरकारी सेवकों के लिए अनुशासनात्मक उदाहरण प्रस्तुत करने हेतु यह कठोर कदम उठाया। नालंदा जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि किसी भी सरकारी कर्मी द्वारा अनैतिक कार्य करने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। ताकि प्रशासन की छवि धूमिल न हो।
इस निर्णय के बाद सरकारी विभागों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। साथ ही अन्य सरकारी कर्मचारियों को भी यह संदेश मिलेगा कि भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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