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Government vs Private School: चर्चा का विषय बना ACS सिद्धार्थ का ‘मॉडल ब्रेन’

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Government vs Private School: This mentality of ACS Siddhartha became a topic of discussion
Government vs Private School: This mentality of ACS Siddhartha became a topic of discussion

बिहार शिक्षा विभाग के ACS के इस कदम के पीछे की मंशा चाहे जो भी हो, लेकिन यह तय है कि इससे शिक्षा के प्रति समाज का दृष्टिकोण बदल सकता है। यह बदलाव सकारात्मक कम और नकारात्मक अधिक होगा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। Government vs Private School: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने राज्य के हर जिले में मॉडल स्कूल खोलने और उनमें निजी स्कूलों की तर्ज पर पढ़ाई कराने की घोषणा की है। इस कदम ने न केवल शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एक गंभीर चर्चा का विषय बन गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मॉडल स्कूलों को पहले जिला स्तर पर शुरू किया जाएगा, जिसके बाद यह क्रमशः अनुमंडल और प्रखंड स्तर तक विस्तारित किए जाएंगे। ये स्कूल निजी स्कूलों की तरह अत्याधुनिक ढांचे, बेहतर शिक्षण पद्धति और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करेंगे। इसके अलावा इन स्कूलों में पहली और दूसरी घंटी गणित और हिंदी के लिए रिज़र्व की गई है। ताकि छात्रों को इन बुनियादी विषयों में मजबूत किया जा सके।

अपर मुख्य सचिव ने शिक्षकों की नियुक्ति और ट्रांसफर में पारदर्शिता और संतुलन लाने की भी बात कही है। उन्होंने बताया कि जिन स्कूलों में शिक्षकों की अधिक संख्या है, वहां से शिक्षकों को अन्य स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। यह प्रक्रिया जिला स्थापना समिति के तहत होगी। जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे।

एस. सिद्धार्थ ने जोर देकर कहा कि स्कूलों की जिम्मेदारी केवल शिक्षकों की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। इसमें ग्रामीण, मुखिया, पार्षद और आंगनबाड़ी सेविकाओं समेत सभी सरकारी तंत्रों की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों के प्रोमोशन और ट्रांसफर में ग्रामीणों के फीडबैक को ध्यान में रखा जाएगा।

इस घोषणा के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या बिहार के सरकारी स्कूलों की वर्तमान शिक्षा प्रणाली निजी स्कूलों से कमजोर है? क्या यह योजना निजी स्कूलों के प्रति अभिभावकों के झुकाव को और बढ़ावा देगी? शिक्षा विशेषज्ञ इसे सरकारी तंत्र की असफलता के रूप में देख रहे हैं।

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