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JSSC CGL पेपर लीक: नालंदा से भी सीधा कनेक्शन, SIT जांच में हुआ खुलासा

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JSSC CGL paper leak: Direct connection with Nalanda too, revealed in SIT investigation
JSSC CGL paper leak: Direct connection with Nalanda too, revealed in SIT investigation

JSSC CGL पेपर लीक मामले में पुलिस और SIT अब तक कई अहम गिरफ्तारियां कर चुकी हैं। लेकिन इस लीक नेटवर्क की तह तक पहुंचना अभी बाकी है

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की CGL परीक्षा में पेपर लीक (JSSC CGL पेपर लीक) का मामला एक बार फिर तूल पकड़ चुका है। इस घोटाले की गहराई और इसके फैलाव ने पुलिस और प्रशासन दोनों को सकते में डाल दिया है।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) द्वारा किए गए खुलासों में नालंदा और पटना का सीधा कनेक्शन सामने आया है। इस कांड में नालंदा निवासी संजीव कुमार उर्फ संजीव मुखिया की भूमिका प्रमुख बताई जा रही है, जो इस पूरे सेल नेटवर्क का मुख्य संचालक है।

जांच के अनुसार यह गिरोह न केवल झारखंड बल्कि बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है। SIT की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड मोनू गुर्जर है। जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के झांसी जेल में बंद है।

मोनू ने अपने नेटवर्क के जरिए परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक करने की साजिश को अंजाम दिया। नालंदा निवासी संजीव और पटना के अतुल वत्स ने झारखंड और आसपास के राज्यों में कोचिंग संचालकों और उम्मीदवारों तक पेपर पहुंचाने का काम किया।

दरअसल, 28 जनवरी को होने वाली परीक्षा का प्रश्न पत्र 26 जनवरी को ही उम्मीदवारों के बीच लीक हो चुका था। SIT ने खुलासा किया कि इस प्रश्न पत्र को 3 लाख से 20 लाख रुपये तक में बेचा गया। पटना के कच्ची तालाब इलाके में परीक्षा से पहले उम्मीदवारों को बुलाकर उत्तर रटवाए गए।

लेकिन लीक गिरोह की साजिश को उजागर करने में लखीसराय निवासी अभिषेक राज की गलती अहम साबित हुई। अभिषेक ने JSSC की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रश्न पत्र और उत्तर की हस्तलिखित प्रतियां अपलोड कर दीं। इस दौरान गलती से उसके दोस्त का बैंक डॉक्यूमेंट भी अपलोड हो गया। जिससे पुलिस को कई अहम सुराग मिले।

SIT को जांच के दौरान छह मोबाइल फोन, वॉट्सएप चैट, टेलीग्राम पर प्रसारित आंसर-की और परीक्षा से पहले उपलब्ध कराए गए प्रश्न पत्र की तस्वीरें मिलीं। इन सबूतों के आधार पर गिरोह के कई सदस्यों को गिरफ्तार किया गया।

वहीं जनवरी में रद्द हुई परीक्षा को 21 और 22 सितंबर को फिर से आयोजित किया गया। लेकिन इसमें भी कई अनियमितताएं सामने आईं। जिसके चलते झारखंड हाईकोर्ट ने परीक्षा परिणामों पर रोक लगा दी। पुलिस ने अभ्यर्थियों से सबूत मांगकर नए खुलासे किए।

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