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पटना पुस्तक मेला की शान बना कैथी लिपि की पुस्तक, तोड़ा बिक्री का रिकॉर्ड

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Kaithi script book became the pride of Patna Book Fair, broke the sales record
Kaithi script book became the pride of Patna Book Fair, broke the sales record

पटना पुस्तक मेला इस बार सिर्फ साहित्यिक उत्सव नहीं रहा, बल्कि एक सांस्कृतिक और तकनीकी नवाचार का मंच भी बना है। कैथी लिपि की पुस्तकों की ऐतिहासिक बिक्री और भूमि नक्शा सेवाओं की जबरदस्त मांग बिहार की बदलती सोच और परंपरा के प्रति जुड़ाव को स्पष्ट रूप से दर्शाती है

नालंदा दर्पण डेस्क। पटना गांधी मैदान में चल रही 40वां पटना पुस्तक मेला में इस बार एक खास स्टॉल ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के स्टॉल पर कैथी लिपि से संबंधित पुस्तकों और भूमि नक्शा सेवाओं की जबरदस्त मांग देखी जा रही है। साहित्य प्रेमियों से लेकर शोधकर्ताओं तक हर वर्ग के लोग इस ऐतिहासिक लिपि को समझने और अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं।

कैथी लिपि बिहार की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर है। उससे संबंधित पुस्तकें इस बार मेले की सबसे चर्चित सामग्री बन गई हैं। तिरहुत, भोजपुर, मगध और मिथिला क्षेत्रों में कभी व्यापक रूप से उपयोग में आने वाली इस लिपि को अब डिजिटल युग में पुनर्जीवित किया जा रहा है। इस पुस्तक में न केवल कैथी लिपि की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बल्कि कंप्यूटर आधारित अनुप्रयोगों को भी विस्तार से समझाया गया है।

राजस्व विभाग के स्टॉल पर मात्र 50 रुपये में उपलब्ध यह पुस्तक पाठकों के बीच इतनी लोकप्रिय हो गई है कि अब तक 50,000 रुपये से अधिक की बिक्री दर्ज की जा चुकी है। स्टॉल संचालक बताते हैं कि भूमि सर्वेक्षण में कैथी लिपि की भूमिका और इसकी बढ़ती प्रासंगिकता ने लोगों में रुचि जगाई है।

कैथी लिपि की पुस्तकों के अलावा विभाग के स्टॉल पर लोग 150 रुपये प्रति शीट की दर से अपने गांव का नक्शा भी प्राप्त कर रहे हैं। मेले के शुरू होने से अब तक इस सेवा से विभाग को 4.82 लाख रुपये की आय हुई है। नक्शा प्राप्त करने वाले लोग इसे भूमि विवादों, संपत्ति के दस्तावेजों और व्यक्तिगत उपयोग के लिए महत्वपूर्ण मान रहे हैं।

स्टॉल पर भूमि सर्वेक्षण से संबंधित अन्य दस्तावेज और सूचनाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। जिससे लोग अपनी जमीन से जुड़ी तकनीकी और ऐतिहासिक जानकारी समझ पा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के अभियान के तहत यह प्रयास किया गया है।

बहरहाल, राजस्व विभाग का यह अभिनव प्रयोग न केवल बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में सहायक है, बल्कि आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक ज्ञान को जोड़ने का एक सफल उदाहरण भी है। मेले में कैथी लिपि की लोकप्रियता यह दिखाती है कि लोग अपनी जड़ों को जानने और समझने में गहरी रुचि रखते हैं।

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