बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा में शराबबंदी के सख्त कानून के बीच एक चौंकाने वाली घटना ने लोगों का गुस्सा भड़का दिया है। बिहारशरीफ के लहेरी थाना क्षेत्र में पुलिस हिरासत में कथित तौर पर बेरहमी से पिटाई के बाद एक 50 वर्षीय व्यक्ति विनोद राम की मौत हो गई। इस घटना के बाद मृतक के परिजनों और स्थानीय लोगों ने जमकर हंगामा मचाया। जिससे शहर के अस्पताल चौक से लेकर सदर अस्पताल और पावापुरी मेडिकल कॉलेज तक अफरा-तफरी का माहौल बन गया। परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं पुलिस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे बीमारी से हुई मौत बताया है।
दरअसल, लहेरी थाना क्षेत्र के बड़ी पहाड़ी मोहल्ले का रहने वाला विनोद राम ठेले पर चाट-समानों की दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। परिजनों के अनुसार सोमवार की रात पुलिस ने उसे नशे की हालत में अस्पताल चौक से गिरफ्तार किया। मंगलवार की रात को थाना में कथित तौर पर उसकी बेरहमी से पिटाई की गई। पिटाई के बाद उसकी हालत बिगड़ गई। जिसके बाद पुलिस ने उसे पहले सदर अस्पताल और फिर विम्स पावापुरी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। लेकिन बुधवार की दोपहर इलाज के दौरान विनोद की मौत हो गई।
विनोद की मौत की खबर मिलते ही उसके परिजन और स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। परिजनों ने लहेरी थानाध्यक्ष और अन्य पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए अस्पताल चौक पर सड़क जाम कर दी और घंटों तक हंगामा किया। इसके अलावा पावापुरी मेडिकल कॉलेज में भी भीड़ ने तोड़फोड़ की। जिससे इमरजेंसी वार्ड में अफरा-तफरी मच गई। स्वास्थ्य कर्मियों को काउंटर छोड़कर भागना पड़ा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए डीएसपी के नेतृत्व में कई थानों की पुलिस को तैनात करना पड़ा।
लहेरी थाना पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पुलिस का कहना है कि विनोद को नशे की हालत में गिरफ्तार किया गया था और मंगलवार को मेडिकल जांच के लिए उसे कोर्ट भेजने की तैयारी थी। इसी दौरान उसे अचानक पेट में तेज दर्द शुरू हुआ। जिसके बाद उसे इलाज के लिए पहले सदर अस्पताल और फिर पावापुरी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। पुलिस का दावा है कि उसकी मौत स्वास्थ्य कारणों से हुई, न कि पिटाई से।
बहरहाल, इस घटना ने लहेरी थाना पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़का दिया है। इससे पहले भी यहां के थानाध्यक्ष पर गंभीर मनमानी के आरोप लगते रहे हैं। सोमवार को ही एक वृद्ध महिला मारपीट की शिकायत लेकर थाने पहुंची थी। लेकिन थानाध्यक्ष ने उसे डांटकर भगा दिया। बाद में डीएसपी के हस्तक्षेप के बाद ही उसका केस दर्ज हो सका।
हंगामे के दौरान एसपी का घटनास्थल पर न पहुंचना भी लोगों के गुस्से की बड़ी वजह बना। लोगों का कहना है कि अगर एसपी मौके पर पहुंचते तो शायद स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती। एसपी ने डीएसपी पर ही स्थिति संभालने की जिम्मेदारी छोड़ दी। जिससे आक्रोशित भीड़ घंटों बवाल काटती रही।
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