बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार सरकार द्वारा चलाए जा रहे महत्वाकांक्षी भू-सर्वेक्षण कार्य (Bihar Land Survey) के द्वितीय चरण के तहत नालंदा जिले के 11 अंचलों में रैयतों को अपने भूमि संबंधी दस्तावेजों के साथ स्व-घोषणा पत्र जमा करने के लिए 31 मार्च, 2025 की अंतिम तिथि निर्धारित की गई है। लेकिन इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया के प्रति रैयतों में उदासीनता देखने को मिल रही है, जो जिला प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है।
आज 27 मार्च है और अंतिम तिथि में अब केवल चार दिन शेष हैं। जिनमें दो-तीन दिन सरकारी अवकाश भी शामिल हैं। इसके बावजूद अब तक इन 11 अंचलों में केवल 30.96 प्रतिशत रैयतों ने ही अपने प्रपत्र जमा किए हैं, जो कुल लक्ष्य का 40 प्रतिशत से भी कम है।
बता दें कि भू-सर्वेक्षण के द्वितीय चरण में बिहारशरीफ, एकंगरसराय, गिरियक, हिलसा, इस्लामपुर, कतरीसराय, नगरनौसा, करायपरसुराय, नूरसराय, रहुई और राजगीर जैसे अंचल शामिल हैं। इन अंचलों में कुल 5 लाख 34 हजार 306 जमाबंदी रैयतों में से अब तक केवल 1 लाख 63 हजार 975 ने ही ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से अपने स्व-घोषणा पत्र और प्रपत्र जमा किए हैं। शेष 3 लाख 70 हजार 331 रैयतों ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। यह स्थिति तब है, जब सरकार ने इस प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
हालांकि जिला प्रशासन ने चेतावनी दी है कि यदि रैयत 31 मार्च तक अपने दस्तावेज जमा नहीं करते तो भविष्य में उन्हें कानूनी और प्रशासनिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने स्पष्ट आदेश जारी किया था कि निर्धारित तिथि तक प्रपत्र जमा करना अनिवार्य है। फिर भी रैयतों की सुस्ती ने योजना के उद्देश्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार ने अभी तक समय सीमा बढ़ाने की कोई घोषणा नहीं की है। जिससे अंतिम दिनों में अफरा-तफरी की स्थिति बन सकती है।
भू-सर्वेक्षण योजना का मुख्य लक्ष्य भूमि रिकॉर्ड को डिजिटाइज करना, उसे पारदर्शी बनाना और जमीन से जुड़े विवादों को कम करना है। इससे सरकारी योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंच सकेगा। प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए सरकार ने रैयतों से मांगे जाने वाले कागजातों को सरल कर दिया है। रैयत ऑनलाइन पोर्टल या ऐप के जरिए अथवा संबंधित अंचल कार्यालय में ऑफलाइन प्रपत्र जमा कर सकते हैं। इसके बावजूद रैयतों में जागरूकता और रुचि की कमी साफ दिखाई दे रही है।
कई रैयतों का मानना है कि सरकार अंतिम तिथि को आगे बढ़ा सकती है। जिसके चलते वे प्रपत्र जमा करने में देरी कर रहे हैं। इसके अलावा आपसी बंटवारे, भाइयों के बीच मुकदमेबाजी, जमीन से संबंधित कागजातों की अनुपलब्धता और खतियान समय पर न मिलने जैसे मुद्दों ने भी प्रक्रिया को प्रभावित किया है। कुछ रैयतों का कहना है कि वे इन समस्याओं के समाधान का इंतजार कर रहे हैं। जिसके चलते वे अभी प्रपत्र जमा नहीं कर पा रहे।
जिला प्रशासन ने सभी भू-स्वामियों से अपील की है कि वे शेष चार दिनों में अपने स्व-घोषणा पत्र और प्रपत्र जमा कर दें। ताकि भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह योजना रैयतों के हित में है और इसके पूरा होने से उनकी जमीन का रिकॉर्ड सुरक्षित और व्यवस्थित हो जाएगा।
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