हरनौत कृषि विज्ञान केंद्र में तालाबंदी, कर्मियों ने की कलमबंद हड़ताल

हरनौत (नालंदा दर्पण)। फोरम ऑफ केवीके एआईसीआरपी के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर हरनौत कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों और कर्मियों ने केंद्र में तालाबंदी कर एक दिवसीय कलमबंद हड़ताल की। सभी कर्मी प्रशासनिक भवन के सामने एकत्र हुए और जोरदार नारेबाजी करते हुए वर्षों से लंबित मांगों को तत्काल प्रभाव से पूरा करने की मांग की। प्रदर्शनकारी कर्मियों ने स्पष्ट कहा कि उनकी मांगें पूरी होने तक विरोध जारी रहेगा और वे फोरम के हर निर्णय के साथ एकजुट हैं।
इस मौके पर प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सीमा कुमारी ने बताया कि देश भर के सभी केवीके एक साथ इस समानांतर एकदिवसीय पेन-डाउन हड़ताल में शामिल हुए। इस सामूहिक विरोध का उद्देश्य उन मांगों की ओर संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना हैं, जिन पर लंबे समय से कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया हैं।
उन्होंने बताया कि उनकी प्रमुख मांगों में वेतन में समानता, वेतन-भत्तों का नियमित एवं समय पर भुगतान, ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण सहित सेवानिवृति लाभों को अन्य सरकारी संस्थानों के समान लागू करना शामिल हैं।
कर्मचारियों का आरोप हैं कि गैर-आईसीएआर से संबद्ध केवीके कर्मियों को उनके आईसीएआर संबद्ध समकक्षों की तुलना में वेतनमान, पदोन्नति और सेवा शर्तों में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा हैं। समान कार्य करने के बावजूद उन्हें कम वेतन और सीमित कैरियर उन्नति मिल रही हैं।
कई कर्मियों ने कहा कि आईसीएआर द्वारा जारी पत्रों में गैर-आईसीएआर केवीके के लिए विरोधाभासी निर्देश दिए जाने से कार्य माहौल प्रभावित हो रहा हैं और अनुसंधान व विस्तार सेवाओं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा हैं।
प्रदर्शनकारी कर्मियों ने कहा कि यह आंदोलन किसी भी प्रकार से राष्ट्रीय हित के विरुद्ध नहीं हैं, बल्कि न्याय और समानता की सामूहिक आवाज हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी वैध मांगों पर तुरंत संज्ञान नहीं लेती तो वे भविष्य में बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
इस दौरान डॉ. उमेश नारायण उमेश, डॉ. विद्याशंकर सिन्हा, डॉ. कुमारी विभा रानी, डॉ. ज्योति सिन्हा, डॉ. उदय प्रकाश नारायण, पूनम पल्लवी सहित कई वैज्ञानिक, तकनीकी एवं सहायक कर्मी उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में कहा कि समय रहते सरकार ने यदि कदम नहीं उठाया, तो आंदोलन और अधिक सशक्त रूप लेगा।
फोरम ने पुनः स्पष्ट किया कि उनकी मांगें न्याय एवं समानता पर आधारित हैं। उन्होंने परोड़ा समिति की सिफारिशों को तत्काल लागू करने की जोरदार मांग की, जिससे पूरे देश में केवीके कर्मियों को समान वेतनमान, पदोन्नति और सेवा शर्तें सुनिश्चित हो सकें।
कर्मियों ने कहा कि लगभग आधी सदी से संचालित केवीके तंत्र अब समान नीतियों का हकदार हैं। इसलिए भारत सरकार और आईसीएआर को ‘वन नेशन, वन केवीके, वन पॉलिसी’ लागू कर देशभर के केवीके कर्मियों में विश्वास, गरिमा और कार्यक्षमता बहाल करनी चाहिए।









