गिरियक (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के गिरियक प्रखंड से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। बीडीओ पवन कुमार ठाकुर को योजना जांच के दौरान जान से मारने और फर्जी केस में फंसाने की धमकी मिली है।
इस मामले में बीडीओ ने स्थानीय पावापुरी सहायक थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की हैं। यह घटना बुधवार की हैं। जब बीडीओ राजगीर अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा प्राप्त एक परिवाद की जांच के लिए चोरसुआ गांव पहुंचे थे।
बीडीओ ने ग्रामीण तनुज कुमार से अनुरोध किया कि वह उन्हें योजना का कार्य स्थल दिखाएं। स्थल पर पहुंचने के बाद अचानक शिवनाथ महतो के पुत्र राजीव कुमार उर्फ बिहारी वहां आ धमका और जांच कार्य में बाधा डालने लगा। जब बीडीओ ने उसे रोकने की कोशिश की तो राजीव ने पंचायत के मुखिया चंदन कुमार को फोन पर सूचना दी।
इसके बाद मुखिया चंदन कुमार ने तनुज को फोन पर धमकी दी कि वह इसके अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें। यही नहीं जांच स्थल पर रणवीर कुमार के बेटे संजीव कुमार उर्फ शेरू ने भी जांच में बाधा डालते हुए बीडीओ और तनुज को धमकाया।
इस घटना से आहत बीडीओ ने पावापुरी सहायक थाना में पुलिस बल की मांग की। जब बीडीओ ने थाने में पहुंचकर इसकी सूचना दी, तो मुखिया चंदन कुमार ने बीडीओ को फोन पर धमकी देते हुए कहा कि उन्हें जान से मार दिया जाएगा और फर्जी केस में फंसा दिया जाएगा। बीडीओ की इस शिकायत पर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई हैं और मामले की जांच शुरू कर दी गई हैं।
उधर, मुखिया चंदन कुमार ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह घटना के समय गांव में मौजूद नहीं थे। उन्होंने बीडीओ पर आरोप लगाया कि जांच के दौरान बीडीओ ने लाभुकों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 5,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी।
मुखिया का कहना हैं कि उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी के समक्ष बीडीओ के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि पंचायत सचिव के साथ मिलकर बीडीओ ने आवास योजना के लाभार्थियों से अवैध रूप से राशि वसूली की हैं।
इस पूरे मामले में दोनों पक्षों के आरोप-प्रत्यारोप से स्थिति और जटिल हो गई हैं। अब यह जांच का विषय हैं कि बीडीओ द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं या मुखिया के दावे में दम हैं। प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया हैं।
बहरहाल, यह घटना नालंदा जिले के प्रशासनिक तंत्र में फैले भ्रष्टाचार और तनावपूर्ण स्थितियों को उजागर करती हैं, जहां अधिकारी और जनप्रतिनिधि एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते नजर आ रहे हैं। अब देखना यह हैं कि जांच के बाद इस मामले में कौन दोषी पाया जाता हैं और क्या प्रशासनिक सुधार हो पाते हैं।
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