बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। सोमवती अमावस्या को सुहागिन महिलाओं ने पीपल वृक्ष की पूजा अर्चना कर अपने पति के दीर्घायु की कामना की। पीपल वृक्ष में सभी देवताओं का वास होता है। उनमें मुख्य रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
सुबह से ही बिहारशरीफ के सोहसराय, एतवारी बाजार, पुलपर समेत अन्य मंदिरों और पीपल वृक्ष के समीप महिलाओं की भीड़ उमड़ने लगी। इस दौरान महिलाओं ने पीपल वृक्ष की 108 बार घूम घूम कर परिक्रमा कर पवित्र सूत बांधी।
ऐसी मान्यता है कि एक ब्राह्मण परिवार था। उनकी एक पुत्री थी। उनकी पुत्री के हाथ में शादी की रेखा नहीं थी। इसके लिए वह बड़े चिंतित रहा करता था। घर पर एक साधु आए। ब्राह्मण परिवार ने उनकी खूब सेवा सत्कार किया और अपना दुखड़ा सुनाया। जिस पर साधु ने बताया कि पास के गांव में एक सोना नाम की धोबिन रहती हैं। यदि वे अपने मांग का सिंदूर का टीका इसे लगा दे तो इससे शादी भी हो जाएगी और पति भी दीर्घायु रहेगा।
यह बात जान उनकी पुत्री उस महिला के घर नौकरी करने लगी। एक दिन उसने देखा कि एक युवती पहले सुबह आकर अपने घर का काम कर चली जाती है। इस पर उसने महिला युवती को रुकते हुए नौकरी करने का कारण पूछा। जिस पर युवती ने सारी बात बताई। जिसके बाद सोना धोबन ने अपनी मांग के सिंदूर का टीका उस युवती को लगा दिया।
मांग के सिंदूर का टीका लगाते ही धोबिन के पति का देहांत हो गया। जब महिला को इस बात का पता चला तो वह भूखी प्यासी पीपल वृक्ष का 108 बार परिक्रमा की। जिसके बाद उनके पति के शरीर में प्राण वापस लौट आया। उसी दिन से महिलाएं इस व्रत को करती हैं।
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