Home खोज-खबर पावापुरी: जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की निर्वाण स्थल

पावापुरी: जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की निर्वाण स्थल

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Pavapuri The place of Nirvana of Lord Mahavir, the 24th Tirthankara of Jainism
Pavapuri The place of Nirvana of Lord Mahavir, the 24th Tirthankara of Jainism

पावापुरी (नालंदा दर्पण)। भगवान महावीर को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में माना जाता है। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व में वर्तमान बिहार के वैशाली क्षेत्र में हुआ। उनका जन्म एक शाही परिवार में हुआ था, और उनके पिता का नाम सिद्धार्थ था। भगवान महावीर ने बचपन से ही ध्यान और साधना की ओर झुकाव रखते हुए सांसारिक जीवन के भौतिक सुखों से विमुख होकर साधु बनने का संकल्प लिया। उन्होंने 30 वर्ष की आयु में घर छोड़कर कठोर तप और ध्यान की राह अपनाई।

भगवान महावीर ने 12 वर्ष तक कठोर तप किया और इस समय के दौरान उन्होंने सत्य, अहिंसा, अस्तेय (चोरी न करना) तथा ब्रह्मचर्य जैसे विचारों की गहराई से खोज की। उनके उपदेशों ने जैन धर्म का मौलिक आधार तैयार किया। जिसमें अत्यधिक अहिंसा और करुणा पर जोर दिया गया। महावीर ने अपने अनुयायियों को यह सिखाया कि आत्मा को शुद्ध करने के लिए सही रास्ते का पालन करना आवश्यक है और इस प्रक्रिया में चार आर्यन (सत्य, अहिंसा, अस्तेय एवं ब्रह्मचर्य) का महत्वपूर्ण स्थान है।

महावीर की शिक्षाओं ने न केवल जैन धर्म को मजबूत किया। बल्कि उन्होंने भारत के समाज में एक नया दृष्टिकोण भी विकसित किया। लगभग 72 वर्ष की आयु में भगवान महावीर ने पावापुरी में निर्वाण प्राप्त किया। यह स्थल जैन अनुयायियों के लिए पवित्र स्थान है। जहाँ उन्होंने अंतिम श्वास ली। भगवान महावीर का जीवन और उनकी शिक्षाएं मानवता के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों का खजाना हैं। जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।

पावापुरी का ऐतिहासिक महत्वः पावापुरी जिसे भगवान महावीर की निर्वाण स्थली के रूप में जाना जाता है, वह जैन धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पावापुरी का ऐतिहासिक महत्व केवल इसके धार्मिक पहलुओं से ही नहीं, बल्कि इसकी सांस्कृतिक समृद्धि से भी जुड़ा है। जैन परंपरा के अनुसार भगवान महावीर जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। उन्होंने यहाँ अपनी आत्मा को मोक्ष प्राप्त किया था। इस घटना ने पावापुरी को एक प्रमुख तीर्थ स्थल का दर्जा दिया है। यहाँ हर साल लाखों तीर्थयात्री स्थानीय और दूर-दराज से आते हैं।

पावापुरी की भव्यता उसकी स्थापत्य कला और धार्मिक स्थलों में निहित है। यहाँ का प्रमुख मंदिर जिसे ‘पावापुरी महावीर मंदिर’ कहा जाता है। भगवान महावीर की प्रतिमा के साथ-साथ उनकी जीवन से जुड़ी कई कलाकृतियों का संग्रह करता है। तीर्थ स्थल के चारों ओर स्थित तालाब में जल का पवित्र महत्व है। जिसे तीर्थयात्रियों द्वारा पूजा जाता है। यहाँ आयोजित होने वाले महोत्सव विशेष रूप से महावीर जयंती जैन समुदाय के लिए बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। जिसमें प्रदर्शन भक्ति गीत और अनुष्ठान शामिल होते हैं।

पावापुरी में प्रतिवर्ष आने वाली तीर्थयात्रियों की संख्या न केवल जैन संगठनों के द्वारा बढ़ती है, बल्कि यहाँ के शांत और पवित्र वातावरण के कारण लोगों की आस्था और भी बढ़ी है। तीर्थयात्री यहाँ की अद्भुत शांति को अनुभव करते हैं और भगवान महावीर के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। पावापुरी का यह धार्मिक महत्व न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए है, बल्कि सभी धर्म के लोगों के लिए सीख और प्रेरणा का स्रोत है। यहाँ की दर्शनीय स्थलों और धार्मिक महोत्सवों के अनुभव तीर्थयात्रियों के लिए अमूल्य होते हैं। जो कि पावापुरी की ऐतिहासिकता को और भी बढ़ाते हैं।

निर्वाण महोत्सव का आयोजनः 2021 में पावापुरी में भगवान महावीर की 2550वीं निर्वाण महोत्सव का आयोजन धूमधाम से किया जाएगा। यह महोत्सव महावीर के जीवन और उनकी शिक्षाओं का उत्सव है। यह न केवल जैन समुदाय बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कार्यक्रम की तारीखें निर्धारित कर दी गई हैं। जो कि 29 अक्टूबर से 1 नवंबर तक चलने वाली हैं।

इस विशेष अवसर पर कई प्रमुख आयोजन कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है। जिसमें भव्य धार्मिक अनुष्ठान, सामूहिक प्रार्थनाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। महोत्सव के दौरान जैन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष प्रवचन और विचार विमर्श सेमिनारों का आयोजन किया जाएगा। जिनमें धार्मिक नेता और विद्वान भाग लेंगे। यह सत्र भगवान महावीर की शिक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे। जिससे कि उनकी विचारधारा को नयी पीढ़ी के बीच फैलाने का प्रयास होगा।

अतिथियों के रूप में कई जैन साधु-साध्वियां और समाज के प्रतिष्ठित नेता इस महोत्सव में भाग लेंगे। साथ ही विभिन्न धार्मिक संस्थाओं और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। महोत्सव का उद्देश्य सभी को भगवान महावीर के सिद्धांतों और उनकी दीक्षा के प्रति जागरूक करना है। इसके माध्यम से यह उम्मीद की जा रही है कि लोग अहिंसा, सच्चाई और संयम जैसे मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।

इसके अतिरिक्त यह महोत्सव पावापुरी की महत्ता को भी उजागर करेगा। जोकि भगवान महावीर के निर्वाण स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। इस प्रकार 2550वीं निर्वाण महोत्सव ना केवल श्रद्धा का प्रतीक होगा। बल्कि जैन धर्म की शांति और समरसता का संदेश भी फैलाने में सक्षम होगा।

पावापुरी यात्रा की योजनाः पावापुरी भगवान महावीर की निर्वाण स्थल, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर से परिपूर्ण है। इस पवित्र स्थान पर यात्रा की योजना बनाना एक उचित विचार है, ताकि आप अपनी यात्रा का अधिकतम लाभ उठा सकें। सबसे पहले यात्रा की योजना बनाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने परिवहन के विकल्पों पर विचार करें। पावापुरी रेलवे स्टेशनों से जुड़े होने के कारण यात्रियों को ट्रेन से यहाँ पहुँचना आसान होता है। नज़दीकी बड़े शहरों से बस सेवा भी उपलब्ध है। जो कई विकल्प प्रदान करती है। इसके अलावा निजी वाहन का उपयोग भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

पावापुरी की यात्रा के दौरान प्रमुख आकर्षणों में जलमंदिर जो कि महावीर स्वामी की शांति का प्रतीक है और विभिन्न जैन मंदिर शामिल हैं। यहाँ स्थित तालाब और प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं का मन मोह लेते हैं। इस स्थान का आध्यात्मिक वातावरण और शांति इसे एक अद्वितीय अनुभव बनाते हैं। यात्रा की योजना बनाते समय आपको रहने की सुविधा भी सुनिश्चित करनी चाहिए। पावापुरी में कई धर्मशालाएं और होटल उपलब्ध हैं,जो यात्रियों की आवश्यकताओं के अनुसार उचित मूल्य पर आवास प्रदान करते हैं।

इसके साथ ही स्थानीय व्यंजनों का अनुभव करना न भूलें। पावापुरी के आसपास के क्षेत्र में विभिन्न जैन व्यंजन जैसे कि साबूदाना खिचड़ी, दाल-बाटी और चटनी का स्वाद लेना अद्भुत होता है। यात्रा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें जैसे कि सफाई का ध्यान रखना, स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करना और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना। यह सुझाव आपकी यात्रा को सुखद और स्मरणीय बना सकते हैं। पावापुरी का दौरा एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव हो सकता है। जो आपको जीवन भर याद रहेगा।

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