Home खेती-बारी गर्मा बीज वितरण में धांधली, किसानों की अनदेखी से नाराजगी

गर्मा बीज वितरण में धांधली, किसानों की अनदेखी से नाराजगी

Rigging in Garam seeds distribution, farmers angry over being ignored
Rigging in Garam seeds distribution, farmers angry over being ignored

नगरनौसा (राहुल राज)। नगरनौसा प्रखंड में गर्मा बीज वितरण को लेकर प्रखंड कृषि पदाधिकारी और कृषि समन्वयकों द्वारा मनमानी करने का मामला सामने आया है। किसानों का आरोप है कि जब वे ऑनलाइन आवेदन मूंग, उड़द और मूंगफली के बीज के लिए करते हैं तो उनके आवेदन को स्वीकृति नहीं दी जाती। जब किसान पदाधिकारियों से आवेदन को स्वीकृत करने का अनुरोध करते हैं तो उन्हें शर्तों में उलझाया जाता है।

सरकार का आदेश या किसानों के साथ जबरदस्ती? कृषि पदाधिकारी किसानों से कहते हैं कि मूंग, मूंगफली और उड़द का बीज तभी मिलेगा। जब वे मक्का का बीज भी लेंगे। इस कथित सरकारी आदेश को लेकर किसान असमंजस में हैं।

नगरनौसा प्रखंड किसान सलाहकार समिति के सदस्य और कैला पंचायत के उपमुखिया जितेन्द्र प्रसाद ने बताया कि इस बार बैंगन की खेती करने वाले किसानों को खरीदार नहीं मिले। जिसके कारण वे पहले ही बैंगन के खेतों की जुताई कर मक्का की बुवाई कर चुके हैं। बावजूद इसके किसानों को शर्त रखी जा रही है कि उन्हें गर्मा बीज के लिए मक्का का बीज भी लेना अनिवार्य होगा।

कृषि निदेशक को भेजी गई शिकायतः इस मामले को लेकर किसानों ने कृषि निदेशक को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज कराई है। गत वर्ष गर्मा मक्का की खेती लगभग 131 हेक्टेयर भूमि पर की गई थी। जिसमें से 10% किसानों ने 15 मार्च से पहले मक्का लगा लिया था। उनके मक्का की बालियों में दाना विकसित हुआ। लेकिन 15 मार्च के बाद 90% किसानों द्वारा लगाई गई मक्का की फसल में दाना नहीं निकला।

क्षतिपूर्ति में भी धांधली? मक्का की क्षति को लेकर किसानों ने क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन दिया था, लेकिन प्रखंड कृषि पदाधिकारी और कृषि समन्वयक ने बिना किसी सर्वेक्षण के ही रिपोर्ट तैयार कर दी। रिपोर्ट में यह बताया गया कि सिर्फ 17-19% किसानों को ही नुकसान हुआ है। जबकि किसानों का दावा है कि वास्तविक क्षति 90% से अधिक हुई थी।

किसानों में रोष, निष्पक्ष जांच की मांगः किसानों ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है और आरोप लगाया है कि कृषि पदाधिकारी और कृषि समन्वयक अपनी मनमानी कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि वे इस अन्याय के खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे और यदि जल्द ही समाधान नहीं मिला तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

इस प्रकरण ने किसानों की परेशानियों को उजागर किया है। जिससे साफ जाहिर होता है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में कई खामियां हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।

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