
“इस नए प्राचीन अवशेष की पुष्टि होते ही यह स्थान देशभर के इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है। क्या यह प्राचीन विश्वविद्यालय का हिस्सा था या फिर कोई बौद्ध नगर? यह जानने के लिए आगे की खुदाई और अध्ययन का इंतजार है…
राजगीर (नालंदा दर्पण)। सिलाव प्रखंड अंतर्गत गोरमा पांकी पंचायत में इतिहास का एक अनूठा रहस्य उजागर हुआ है। गोरमा गांव में एक नदी की खुदाई के दौरान प्राचीन दीवार मिलने से हड़कंप मच गया है। जैसे ही यह खबर गांव में फैली, ग्रामीणों का हुजूम इस स्थल पर उमड़ पड़ा।
गोरमा गांव के पश्चिम में फैली 22 बीघा क्षेत्र की इस नदी में खुदाई के दौरान लगभग दस फीट नीचे एक विशाल दीवार सामने आई। स्थानीय लोगों ने जब इसे देखा तो खुदाई कार्य को तुरंत रुकवा दिया और खुद ही इसे और साफ करने लगे। ग्रामीणों के अनुसार यह दीवार प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की संरचनाओं से मेल खाती है, क्योंकि इसकी ईंटें भी वैसी ही प्रतीत होती हैं।
इतिहासकारों और पुरातत्वविदों का मानना है कि यह अवशेष किसी प्राचीन नगर, शिक्षालय या भव्य मंदिर का हिस्सा हो सकता है। लोग बताते हैं कि यहां पहले भी खुदाई में बुद्ध प्रतिमाओं के खंडित टुकड़े मिलते रहे हैं, जो यह संकेत देते हैं कि यह स्थान अतीत में एक महत्वपूर्ण बौद्ध केंद्र रहा होगा।
नदी के अंदर प्राचीन दीवार मिलने के बाद स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त उत्सुकता देखी जा रही है। वे इस खोज को और विस्तार से जानने के लिए पुरातत्व विभाग से उचित जांच की मांग कर रहे हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस स्थल की गहन खुदाई कराई जाए तो यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक खोज साबित हो सकती है।
इस खोज से नालंदा के गौरवशाली अतीत की एक नई परत खुल सकती है। यदि यहां कोई प्राचीन नगर रहा होगा तो यह बिहार के ऐतिहासिक महत्व को और अधिक बढ़ाएगा। फिलहाल ग्रामीणों की पहल से यह स्थान चर्चा में आ गया है और जल्द ही पुरातत्व विभाग के हस्तक्षेप की उम्मीद की जा रही है।
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