
चंडी (नालंदा दर्पण)। बिहार के नालंदा जिले के चंडी थाना क्षेत्र में दिल दहला देने वाली हत्या का मामला सामने आया है। करीब 25 वर्षीय अज्ञात युवती का शव 5 मार्च की सुबह सड़क किनारे एक खेत के गड्ढे में बरामद किया गया था। शव की हालत इतनी भयावह थी कि देखने वालों की रूह कांप गई। अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) तक पहुंच गया है।
पुलिस जांच में सामने आया है कि युवती के तलवों में कीलें ठोकी गई थीं, जिससे क्रूरता की पराकाष्ठा झलकती है। उसके शरीर पर जख्मों के निशान थे और पूरे बदन पर भभूत जैसा सफेद पाउडर लगा हुआ था। एक हाथ पर इंटराकेट और दूसरे हाथ पर पट्टी बंधी मिली।
शुरुआती जांच में यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह अंधविश्वास से जुड़ा मामला हो सकता है। बिहार सरकार ने 1999 में डायन प्रथा निवारण अधिनियम लागू किया था। यह महिलाओं को अंधविश्वास से जुड़ी हिंसा से बचाने के लिए बनाया गया था। इस घटना ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस निर्मम हत्या के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ब्रजेश सिंह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि वह महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रही है।
उन्होंने NHRC से मांग की है कि पुलिस महानिदेशक (DGP) से इस पूरे मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी जाए और यदि मृतका गरीब तबके से आती है तो उसके परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए।
अब तक शव की पहचान नहीं हो सकी है। पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए जानकारी साझा की है। साथ ही दूर-दराज तक पोस्टर भी चिपकाए जा रहे हैं। अन्य जिलों की पुलिस को भी मृतका का विवरण भेजा गया है। इस जघन्य अपराध से जुड़े सुराग देने वालों को पुलिस इनाम देने की घोषणा कर चुकी है।
यह मामला पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। स्थानीय लोगों में भी इस हत्याकांड को लेकर भय का माहौल है। पुलिस फिलहाल यह जांच कर रही है कि यह हत्या किसी तांत्रिक अनुष्ठान का हिस्सा थी या इसके पीछे कोई अन्य कारण है।
यह दिल दहला देने वाला मामला कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि पुलिस अपराधियों तक कब और कैसे पहुंचती है और क्या मृतका की पहचान उजागर हो पाएगी या नहीं।
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