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पेपर लीक माफिया लूटन मुखिया की गिरफ्तारी के लिए SIT का गठन

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नीट यूजी-2024 के प्रश्न पत्र लीक मामले में कुख्यात मास्टरमाइंड संजीव कुमार उर्फ लूटन मुखिया की गिरफ्तारी के लिए बिहार पुलिस ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। इस मामले ने देशभर में शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। नगरनौसा प्रखंड अंतर्गत भूतहाखार पंचायत के बलवापर गांव निवासी संजीव कुमार उर्फ लूटन मुखिया एक सरकारी कॉलेज का पूर्व तकनीकी सहायक रह चुका है। पर कई हाई-प्रोफाइल पेपर लीक मामलों में संलिप्तता के गंभीर आरोप हैं। बिहार पुलिस ने संजीव और उसके गिरोह के खिलाफ ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू कर दी है, जो बिहार सहित उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में सक्रिय है।

बता दें कि संजीव मुखिया का नाम पहली बार तब सुर्खियों में आया, जब मार्च 2024 में आयोजित बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीआरई-3) के पेपर लीक मामले में उसकी संलिप्तता सामने आई। इसके बाद नीट यूजी-2024 पेपर लीक ने इस मामले को और गंभीर बना दिया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की जा रही जांच में खुलासा हुआ कि संजीव का गिरोह न केवल बिहार में, बल्कि कई अन्य राज्यों में भी संगठित तरीके से पेपर लीक की वारदातों को अंजाम दे रहा है। इस गिरोह पर हरियाणा में पशु चिकित्सकों और अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती परीक्षाओं के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में आयोजित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक का भी आरोप है।

आर्थिक अपराध इकाई ने खोला है अकूत संपत्ति का राजः आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। संजीव मुखिया की संपत्ति उसकी ज्ञात आय से 144% अधिक पाई गई है। अब तक 11.50 लाख रुपये नकद, आठ अचल संपत्तियां और दर्जनों बैंक खातों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार संजीव ने अपने अवैध कारोबार से अकूत दौलत जमा की। जिसका उपयोग वह अपने गिरोह को और मजबूत करने में करता था।

कानूनी जटिलताओं ने बढ़ाई मुश्किलः संजीव मुखिया की गिरफ्तारी में कई कानूनी अड़चनें भी सामने आईं। नवंबर 2024 तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगी हुई थी। जिसके कारण जांच एजेंसियों की कार्रवाई सीमित रही। EOU ने उसके खिलाफ केस दर्ज किया। लेकिन यह मामला सरकारी कर्मचारी से संबंधित नहीं होने के कारण और जटिल हो गया। सबूत जुटाने से लेकर कानूनी प्रावधानों की पुष्टि तक में महीनों लग गए। आखिरकार दिसंबर 2024 में संजीव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ।

कानूनी शिकंजे से पहले भी बच चुका हैः यह पहली बार नहीं है जब संजीव मुखिया कानून के रडार पर आया है। साल 2016 में उत्तराखंड पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में वह कानूनी शिकंजे से बच निकला। इसके अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उसका बेटा डॉ. शिव भी पहले ही सजा काट चुका है। हैरानी की बात यह है कि संजीव का बेटा भी उसी रास्ते पर चल पड़ा और बिहार सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में गिरफ्तार होकर वर्तमान में पटना की बेऊर जेल में बंद है।

गिरोह का विस्तार और चुनौतीः संजीव मुखिया का गिरोह केवल बिहार तक सीमित नहीं है। यह संगठित अपराधी नेटवर्क हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी सक्रिय है। इस गिरोह की पहुंच इतनी गहरी है कि यह विभिन्न राज्यों में आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों को लीक करने में सक्षम रहा। जांच एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस नेटवर्क के सभी सदस्यों की पहचान और उनकी गतिविधियों पर नकेल कसना है।

बहरहाल, संजीव मुखिया जैसे अपराधी न केवल शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करते हैं, बल्कि लाखों युवाओं के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ करते हैं। बिहार पुलिस की इस कार्रवाई से एक सख्त संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि पेपर लीक जैसे अपराधों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या SIT इस कुख्यात माफिया को जल्द सलाखों के पीछे पहुंचा पाएगी।

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